गर्भावस्था में अपना खास ध्यान रखकर अपने नवजात को किन्नर होने से बचाएं

5 years ago
गर्भावस्था में अपना खास ध्यान रखकर अपने नवजात को किन्नर होने से बचाएं

स्त्री तथा पुरूष के अलावा मनुष्य जाती में एक और वर्ग भी होता है, जिसे बोलचाल की जुबान में लोग किन्नर, छक्का या फिर हिजड़ा भी कह देते हैं। आज कल के ज़माने में हमने इन्हें थर्ड जेंडर की संज्ञा देते हुए इनके होने को मान भी लिया है ।

वैसे हमारे देश की संस्कृति में तो प्राचीन काल से हीं इनके अस्तित्व को स्वीकारा गया है । इसीलिए हमारे पुराने धर्म ग्रन्थों जैसे महाभारत आदि में कई ऐसे चरित्रों का वर्णन आता है । वहीं अगर बात हमारे देश के मध्य काल के इतिहास की करें तो इस दौरान भी इनका जिक्र आता है। मुगल काल के वक़्त राजदरबार तक में इनकी उपस्थिति रहा करती थी । हालांकि आज के वक़्त में इनकी पहचान केवल नाचने और गाने वाले एक वर्ग की रह गई है । वैसे इस बात को तो तो सभी जानते हीं हैं की किन्नर या हिजड़ा कभी माता पिता नहीं बन सकते हैं परन्तु अब सवाल यह उठता है कि फिर किन्नर आखिर जन्म कैसे लेते हैं ? आज हम इसका वैज्ञानिक कारण बताने वाले हैं जिस वजह से गर्भ में पल रहा एक बच्चा किन्नर का रूप ले लेता है। 

किन्नरों का जन्म भी दरअसल आम घरों में ही होता है पर जब माँ पिता को पता चलता है की उनका नवजात किन्नर है तब वो उस किन्नर बच्चे को खुद ही किन्नरों के पा ले जा कर उनके हवाले कर देते हैं या फिर ऐसा भी होता है की किन्नर खुद भी उसे ले कर चले जाते हैं और उसका पूरा पालन-पोषण करते हैं।

दरअसल कुछ स्वास्थ्य कारणों से गर्भ में पल रहे नवजात लड़का या फिर लड़की का आकार ना लेकर एक किन्नर का रूप ले लेता है। आल में गर्भावस्था के शुरूआती तीन महीने के अक्त नवजात बच्चे का लिंग बनना शुरू हो जाता है और ऐसे में इस वक़्त गर्भवती महिला के पेट में बच्चे को किसी प्रकार के चोट, विषाक्त खान-पान या फिर किसी प्रकार के हॉर्मोनल समस्या की वजह से भी बच्चे में लड़की या फिर लड़के के बजाय दोनों ही लिंगों के गुण सामने आने लग जाते हैं। इसी वज़ह से गर्भावस्था के आरम्भिक 3 महीने में चिकित्सक गर्भवती महिला को बहुत ही ध्यान दे कर रखने की बात करता है ।

सबसे पहले इस बात के बारे में जानते हैं कि आखिर बच्चों में लिंग का निर्धारण आखिर कैसे होता है । दरअसल मनुष्य योनी में क्रोमोसोम की कुल संख्या 46 की होती है जिसमें 44 आटोजोम कहलाते हैं और बाकी बचे दो सेक्स क्रोमोजोम होते हैं ! और यही दो सेक्स क्रोमोसोम बच्चों में लिंग का निर्धारण करते हैं।

पुरुषों में XY दोनों तरह के क्रोमोसोम होते है और स्त्री में सिर्फ क प्रकार के XX क्रोमोसोम होते हैं। ऐसे में इन दोनो क्रोमोसोम के मिलने से जब महिला के गर्भ में बच्चा आ जाता है तब उसमें यही दोनो सेक्स क्रोमोसोम अगर XY होते हैं तो वह लड़का होता है और जब XX होते हैं तब लड़की  होती है ! पर जब यही XY और XX क्रोमोसोम के बजाय XXX, YY, OX क्रोमोसोमल हो जाते हैं तो इन क्रोमोसोमल डिसऑर्डर के कारण जो बच्चें जन्म लेते हैं वही किन्नर हो जाते हैं ! इन किन्नरों में स्त्री तथा पुरूष दोनों हीं के गुण आ जाते हैँ।

गर्भावस्था के आरम्भिक तीन महीने में बच्चा जब मां के गर्भ के अन्दर पलता है तब कुछ वजहों से क्रोमोजोम संख्या में या फिर क्रोमोसोम की स्ट्रक्चर में बदलाव हो जाता है जिसकी वज़ह से किन्नर पैदा होते है। इसके लिए निम्नलिखित कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।

अगर गर्भावस्था के आरम्भिक 3 माह में गर्भवती महिला को बुखार आ जाए और गलती से कोई हेवी डोज़ मेडिसिन ले ली गई हो।

गर्भवती महिला ने अगर कोई ऐसी मेडिसीन या खाद्यपदार्थ का सेवन किया हो जिससे नवजात शिशु को हानि हो सकती हो।

अगर प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिला ने किसी तरह का कोई विषाक्त पदार्थ जैसे कोई केमिकली ट्रीटेड या फी पेस्टिसाइड्स वाले फ्रूट-वेजिटेबल्स खा लिए हों।

इसके अलावा गर्भावस्था के 3 महीने के समयकाल में किसी प्रकार का कोई एक्सीडेंट या फिर चोट से भी शिशु के सेक्स अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं ।

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