69वां गणतंत्र दिवस: वो 69 मुख्य अतिथि जिन्होंने बढ़ाई भारतीय गणतंत्र दिवस की शान

भारतीय गणतंत्र इस साल अपनी 69वीं सालगिरह मना रहा है। 26 जनवरी 1950 से शुरू हुई भारतीय गणतंत्र की ये यात्रा सुख-दुःख के हर मौसमों को अपने में आत्मसात करता हुआ भी आज मज़बूती से खड़ा है। पूरा भारत देश हर साल इस दिवस को बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाता है। 1950 में जो संविधान शासकीय दस्तावेज़ के तौर पर भारत में लागू किया गया वो आज भी हमारे देश में लागू है, इस संविधान ने देश के लोगों पर कोई अपरिहार्य कानून नहीं लादे और इसका लचीला होना हीं देश की तरक्की के पीछे की एक बड़ी वजह है।  इसी कारण आज इस संविधान में 100 से भी ज्यादा संशोधन वक़्त वक़्त पर देश और देशवासियों की ज़रूरतों के हिसाब से किये गए। 

भारतीय संविधान की सफलता का ये पर्व 26 जनवरी 2018 को अपनी 69वीं सक्सेस पार्टी मना रहा है। इस अवसर पर गणतंत्र दिवस के इतिहास में पहली बार एक साथ दस देशों के राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि बन के आ रहे हैं। ये बड़े गौरव और हर्ष की बात है की आज दुनिया के ज्यादातर देश भारतीय लोकतंत्र को लोकतांत्रिक देशों के लिए एक मापदंड की तरह देखने लगे हैं। 

हर साल की तरह इस साल भी दिल्ली के लाल किले की प्राचीर पर गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया जाएगा। देशी विदेशी अतिथियों की मौजूदगी में पूरी दुनिया भारत की ताकत, संस्कृति, समृद्धि और एकता देखेगी। इन आयोजनों की शुरुआत से हीं कुछ एक साल को छोड़ दें तो हर साल किसी ना किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष ने मुख्य अतिथि के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। आज इस लेख में हम साल दर साल हमारे देश के मेहमान बने शख्सियतों के बारे में जानेंगे।  

आज़ादी के करीब तीन साल बाद जब संविधान सभा की अथक मेहनत से भारतीय संविधान बन कर तैयार हुआ तो इसे 26 जनवरी 1950 को देश भर में लागू कर दिया गया। इसके उपलक्ष में गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया गया। शुरुआत में ये समारोह किसी निश्चित जगह पर नहीं आयोजित किये जाते थे, इसका आयोजन इरविन स्टेडियम, किंग्सवे, लाल किला और राम लीला मैदान के अलग अलग स्थानों पर किया जाता था।  1955 के बाद इन समारोहों का आयोजन लाल किले में होना आरम्भ हो गया ठीक जैसे आज होता है।

26 जनवरी 1950, प्रथम गणतंत्र दिवस: इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो

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पहले गणतंत्र दिवस समारोह में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी ने दक्षिण पूर्व एशिया के दिग्गज नेता और इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति श्री सुकर्णों जी को आमंत्रित किया। 

26 जनवरी 1951, दूसरा गणतंत्र दिवस: नेपाल नरेश त्रिभुवन वीर विक्रम शाह

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26 जनवरी 1954, पांचवां गणतंत्र दिवस: भूटान नरेश जिग्मे दोरजी वांगचुक

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दो साल बगैर किसी विदेशी अतिथियों के गणतंत्र दिवस समारोह मनाये जाने के बाद साल 1954 में पुनः एक बार पड़ोसी देश भूटान के नरेश जिग्मे दोरजी वाँगचुक को समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पे आमंत्रित किया गया।

26 जनवरी 1955, छठा गणतंत्र दिवस: पाकिस्तान के गर्वनर जनरल, मलिक गुलाम मोहम्मद

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गणतंत्र दिवस का जो वर्तमान स्वरूप है उसकी शुरुआत सन 1955 के इसी समारोह से शुरू हुई थी ।  इसी साल से हर साल लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज को फहराने और राजपथ पर झांकियों और सैन्य कदमताल के परेडों को दिखाने के रश्म की शुरुआत हुई। इस साल मुख्य अतिथि के तौर पर पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद जी को आमंत्रण दिया गया था।  1947 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध के बाद पाकिस्तानी गवर्नर जनरल को आमंत्रित कर के भारत ने दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की सकारात्मक पहल की थी।

26 जनवरी 1956, सातवां गणतंत्र दिवस: ब्रिटेन के कोष कुलाधिपति और जापान के चीफ जस्टिस

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इस साल गणतंत्र दिवस समारोहों के इतिहास में पहली बार दो अतिथि मुख्य अतिथि बन कर आये। एक थे ब्रिटेन के कोष कुलाधिपति आर ए बटलर और दूसरे थे जापान के चीफ जस्टिस कोटरो तनाका। 

26 जनवरी 1957, आठवां गणतंत्र दिवस: सोवियत संघ के रक्षा मंत्री जॉर्जी ज़्हुकोव

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आज़ादी के बाद से हीं भारत के सम्बन्ध सोवियत संघ से बड़े हीं अच्छे रहे हैं। इसी कारण शुरूआती सालों में हीं सोवियत संघ जो तब एक महाशक्ति हुआ करता था के रक्षा मंत्री भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बन कर आये।

26 जनवरी 1958, नौवां गणतंत्र दिवस: चीन के मार्शल यि जियानयिंग

शुरूआती वर्षों में हिंदी चीनी भाई भाई के नारों के बीच भारत और चीन की दोस्ती की बातें हर जगह सुनी जाती थी। इसी का नतीजा था की नौवें गणतंत्र दिवस समारोह में चीन के मार्शल यि जियानयिंग को मुख्य अतिथि के तौर पे आमंत्रित किया गया। 


26 जनवरी 1959, दसवाँ गणतंत्र दिवस: ब्रिटेन के राजकुमार फिलिप

 ये दूसरी बार था जब भारतीय गणतंत्र दिवस पर कोई ब्रिटिश मेहमान मुख्य अतिथि बन कर आया था। भारत पर 300 साल राज करने वाले देश के साथ भी भारत ने अच्छे द्विपक्षीय सम्बन्ध बनाये ये भारत की सकारात्मक सोच को दर्शाता है। 


26 जनवरी 1960, ग्यारवां गणतंत्र दिवस: सोवियत संघ के राष्ट्रपति, क्लिमेंट वोरोशिलोव

भारत के गणतंत्र दिवस पर सोवियत संघ के राष्ट्रपति क्लिमेंट वोरोशिलोव की मौजूदगी उस काल में भारत और सोवियत संघ के अच्छे संबंधों को दर्शाता है जो आज भी प्रगाढ़ है। 


26 जनवरी 1966, सत्रहवाँ गणतंत्र दिवस

इस साल भारत और चीन के बीच युद्ध के माहौल के बीच किसी भी राष्ट्राध्यक्ष को गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित नहीं किया जा सका था। इस साल गणतंत्र दिवस के इतिहास में पहली बार भारत के राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा नहीं बन पाए। इसकी वजह तत्कालीन राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन जी का खराब स्वस्थ था। 

26 जनवरी 1968, उन्नीसवां गणतंत्र दिवस: सोवियत संघ के प्रधानमंत्री और युगोस्लाविया के राष्ट्रपति 

1956 के बाद पहली बार इस साल भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में दो मुख्य अतिथियों को आमंत्रित किया गया।  एक थे सोवियत संघ के प्रधानमंत्री एलेक्सी कोज़ीगिन और दूसरे थे युगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रोज टीटो। 


26 जनवरी 1974, पचीसवाँ गणतंत्र दिवस: यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति और श्रीलंका के प्रधानमंत्री 

इस साल के गणतंत्र दिवस समारोह में भी दो मुख्य अतिथियों ने शिरकत की।  पहले थे यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रौज टीटो और दूसरे थे पड़ोसी देश श्रीलंका के प्रधानमंत्री सिरीमावो रतवत्ते दियास बंदरनायके। 

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