ईरान के रेगिस्तान में जमीन से 100 फीट नीचे बहने वाली नहरों का रहस्य जानिए

दुनिया भर में आज भी बहुत से ऐसे स्थान है। जिससे हम सभी आज तक बेखबर है। फिर भी आए दिन हमें कई जगहों के बारे में रहस्मयी जानकारियां मिलती रहती है। जैसे ईरान के मरुस्थल (रेगिस्तान) को ही देख लीजिए। यहां पर ऐसी कई जगह है। जहाँ पर जमीन के 100 फ़ीट नीचे पानी की नहर बहती है। हालांकि सुनने में आपको यह बहुत अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह बिलकुल सही है।

जानिए क्या है पानी का स्त्रोत?

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आपको बता दें कि जिस जगह से जमीन के 100 फ़ीट नीचे से पानी की नहर बहती है। उसे यहां स्थानीय स्तर पर कनात चैनल कहते है। इन नहरों बारे में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी इस नहर को देखकर अचम्भित रह जाते है। कई साल तक तो यह पता ही नहीं चल सका था कि इस नहर के पानी के स्रोत कहा पर है।

लेकिन इस नहर की गहराई से अध्ययन करने के बाद पता चला कि यह दूर पहाड़ के रिवर वैली से यह नहरें निकली है। जमीन के अंदर यह स्वच्छ पानी का एक बहुत बड़ा स्रोत बन गया है। जिसके चलते इस नहर के पानी पर सैकड़ों गांव निर्भर हो चुके है।

नहरें हैं 3,000 वर्ष पुरानी

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पुरातत्व सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक ईरान के रेगिस्तान में जमीन से 100 फ़ीट नीचे यह नहरें 3000 साल से पहले से स्थित है। ऐसा मन जाता है कि निश्चय ही लौह युग में इस नहर को बनाया गया होगा। आज के युग में इसे इंजीनियरिंग का चमत्कार माना जाता है। जलस्रोत से लंबी नहरे खोदना, उनमें ढाल इस तरह रखना कि पानी बहता भी रहे, लेकिन इतनी तेजी से भी न बहे कि नहरों को नुकसान पहुंचाए, यह सब प्राचीन इंजीनियरिंग का कमाल ही है। रेगिस्तान में ऊपर से देखने पर गुफा जैसे छोटे-छोटे गड्ढे दिखाई देते हैं। उनके अंदर जाने के बाद पानी बहने की आवाज साफ सुनाई देने लगती है।

पर्सियन कनात है विश्व धरोहर

यूनेस्को (5.4-2) ने पर्सियन कनात को साल 2016 में विश्व की धरोहर घोषित कर दिया था। यूनेस्को का मानना है कि ईरान की प्राचीन सभ्यता में यह पानी की आपूर्ति का सर्वश्रेस्ट उदाहरण है। मुस्लिम आक्रमणकारियों और सिल्क रूट के व्यापारियों के साथ कनात की तकनीक अन्य देशो तक पहुँच गई। यही कारण है कि इनकी मौजूदगी मोरक्को और स्पेन में भी मिलती है। इस कनात की देखरेख करने वाले को मिराब कहा जाता है। 102 साल के गुलामरेजा नबीपुर आखिरी मिराबों में हैं और इन्हे ईरान सरकार द्वारा नेशनल लिविंग ट्रेजर का दर्जा दिया गया है।

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