मोदी सरकार के चौतरफा दवाब के बाद विजय माल्या भारतीय बैंकों को कर्ज वापिस करने को राजी

भारतीय बैंक से पैसे ले कर भारत से दूर लंदन भाग चुके विजय माल्या अब भारतीय बैंकों को अपने द्वारा लिए गए कर्ज को चुकाने को तैयार हो गए हैं. वो अब भारत वापिस लौटना चाहते हैं और अपने सारे कर्ज को भी चुकाना चाहते हैं. इसके लिए विजय माल्या के तरफ से एक बयान भी जारी किया गया है. इस बयान में विजय माल्या ने अपन द्वारा लिए गए कर्ज को चुका देने की हर संभव कोशिश करने के बारे में कहा.

विजय माल्या ने इस बाबत यह भी कहा है कि वह अपने कर्ज को चुकाने के लिए हमेशा से तैयार थे, पर सरकार की ओर से इस में किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिल रही थी. माल्या के अनुसार उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली दोनो को हीं 15 अप्रैल 2016 को इस बारे में एक पत्र लिखा था पर इस पत्र का उन्हें कोई भी उत्तर नहीं मिला. अब फिर एक बार विजय माल्या ने 22 जून को कर्नाटक के हाईकोर्ट में इस बारे में अपील की है कि उसे अपने 13900 करोड़ की संपत्ति को बेचने का हक मिले ताकि वो अपना कर्ज चूका सके.

विजय माल्या ने इस बाबत ट्वीट करते ही लिखा कि कुछ लोग पूछ रहे हैं कि उन्होंने बयान जारी करने के लिए यही समय क्यों चुना तो इसका कारण यह है की UBHL तथा माल्या ने कर्नाटक के हाईकोर्ट में अपने कर्ज चुकाने के लिए अपनी संपत्ति को बेचने की मंजूरी का आवादन दिया है. अभी पिछले हीं हफ्ते ईडी ने विशेष अदालत से भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश, 2018 के अंतर्गत विजय माल्या को ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ घोषित करने की मांग की थी. इस अध्यादेश के अंतर्गत दर्ज की गई यह पहली अर्जी है. माना जा रहा है कि माल्या ने इसके उत्तर में ही अपनी ये सफाई पेश की है.

बता दें की विजय माल्या ने साल 2016 में भारत छोड़ दिया था और यूके की नागरिकता ले ली थी तभी से भारतीय बैंकों का एक संघ विजय माल्या द्वारा संचालित कंपनियों से कुल 9,000 करोड़ रुपये तक के कर्ज को वापिस वसूलने की कोशिश में है । अब प्रश्न ये खड़ा होता है की विजय माल्या ने दो वर्ष के बाद अब कर्ज चुकाने को तैयार कैसे हो गए. इस बारे में आशुतोष मुगलकर ने अपने एक ट्वीट के माध्यम से अच्छे से समझाया है.

1. दिवालियापन और दिवालियापन संहिता (आईबीसी)

यह अध्यादेश साल 2017 के मध्य में प्रभावी हुआ। इसकी सबसे महत्वपूर्ण विशेषता, यह पीआरएस सारांश बताता है साथ हीं यह व्यक्तियों और कंपनियों के लिए समयबद्ध दिवालिया प्रक्रिया बनाता है। हाल ही में, पहली दिवालियापन की रिपोर्टों ने भी इस तथ्य को इंगित करने के लिए शुरू किया है कि यह काम कर रहा है।

2. आर्थिक अपराधियों के लिए अध्यादेश और बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम

ये दोनों अब कानूनी वास्तविकताओं में से एक हैं। वास्तव में, जैसा कि इस रिपोर्ट में कहा गया है, विजय माल्या एक आर्थिक अपराधी घोषित करने वाले पहले व्यक्ति थे, और उनकी संपत्ति 2016 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा संलग्न की गई थी। इसका मतलब है कि न केवल राज्य विजय माल्या की संपत्ति संलग्न कर सकता है, जैसा कि है, माल्या उन्हें बेनामी माध्यमों से भी बचा नहीं सकता है।

3. पासपोर्ट रद्द कर दिया गया

2016 में ईडी के अनुरोध पर माल्या के पासपोर्ट को रद्द कर दिया गया था, इस प्रकार उनके बचने के संभावित सभी रास्ते को सीमित कर दिया गया है। 

4. निष्कर्ष की तरफ बढ़ता पूरा मामला 

विजय माल्या वर्तमान में ब्रिटेन में एक प्रत्यर्पण मामले का केस लड़ रहे है जिसमें अंतिम सुनवाई 31 जुलाई को होगी। हाल ही में, एक अन्य मामले में, यूके उच्च न्यायालय ने माल्या को 13 भारतीय बैंकों को कानूनी कार्यवाही के लिए क्षतिपूर्ति करने का आदेश दिया था, ये आदेश उनके खिलाफ चले गए हैं।

ऊपर बताये गए सभी बिन्दुओं से हमें पता चलता है की मोदी सरकार के द्वारा पिछले दो साल में बनाये गए दवाब के कारण अब जाकर विजय माल्या विदेश में भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं और भारत लौटकर अपने कर्ज को चुकाने के लिए बेबस से हो गए हैं.

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