कुछ महीने पहले केरल के गृहशोभा नाम के मैग्जीन के कवर पर “केरल की माँएं कह रही हैं, कृपया घूरे नहीं, हमें ब्रेस्टफीड कराना है” इस हेडलाइन के संग एक तस्वीर छापी गई थी जिस पर बाद में विवाद बढ़ गया और मामला कोर्ट तक पहुँच गया । दरअसल इस मैगजीन के कवर पर एक मलयालम फिल्म ऐक्ट्रेस गिलु जोसेफ नजर आ रही थी जो जो तस्वीर में एक नवजात बच्चे को अपना स्तनपान करवाती हुई नजर आ रहीं थीं।
इसी स्तनपान करवाती हुई तस्वीर कोई देखने के बाद कुछ लोगों को यह अश्लील लगा और इस पर विवाद शुरू हो गया। वैसे कुछ लोगों ने इस तस्वीर की तारीफ भी की और माँ द्वारा किसी भी स्थान पर बच्चे को स्तनपान कराने के खुलेपन की मांग भी उठाई थी।
बहरहाल जिन लोगों को इस मैग्जीन की तस्वीर से आपत्ति हुई उन लोगों ने इस संस्करण के आने के बाद गृहशोभ मैग्जीन के संपादक तथा तस्वीरे में स्तनपान करवा रहीं मॉडल गिलु जोसेफ के ऊपर पॉस्को एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज करवाया। पॉस्को एक्ट के अलावा धरा 39, धारा 39(ई),(एफ) के अंतर्गत भी केस दर्ज करवाया गया था।
इसी पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए अब केरल हाईकोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया है इसके अंतर्गत हाईकोर्ट ने कहा है “ये एक आदमी के लिए अश्लीलता और दूसरे के लिए ज्ञान के जैसा हो सकता है।“
केरल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एंटनी डोमिनिक और न्यायमूर्ति दमा सेशदरी नायडू की अध्यक्षता वाली केरल हाईकोर्ट की इस बेंच ने अपनी सुनवाई के दैरान ऐसा कहा कि भारतीय संस्कृति में जो कलाएं है उसमे भी हमेशा मानव के शरीर को दिखाया जाता था, जैसा कि कामसूत्र, राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स और अजंता में मूर्तियों में पाया जाता है।
हाईकोर्ट की बेंच ने मैग्जीन के बारे में यह कहा कि उसने उस कवर की तस्वीर पर कुछ भी ऐसा गलत नहीं छापा जो महिलाओं या फिर पुरुषों के लिए अश्लील या आक्रामक था। बेंच ने यह भी कहा कि कामुकता और पवित्रता को अलग अलग दृष्टिकोण से देखने की जरुरत है। अब केरल हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद से देश में महिलाओं के द्वारा स्तनपान कराने के लिए स्वीकृति के नए आयाम खुल सकते हैं।