कुम्भ मेला भारतीय सभ्यता संस्कृति का एक बड़ा उत्सव है, जिसे हर 12 वर्ष के अंतराल में प्रयाग (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में मनाया जाता है।आस्था के इस बड़े मेले में देश दुनिया से लाखो लोग हिस्सा लेने आते हैं।
इसी आस्था को देखते हुए यूनेस्को ने इस उत्सव को 'मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर' की मान्यता प्रदान की है। इसकी सुचना गुरुवार के दिन यूनेस्को ने अपने ऑफिसियल ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर के दी है। यूनेस्को के अंतर्गत कार्य करने वाली ‘इंटरगर्वनमेंटल कमिटी फोर सेफगार्डिंग ऑफ इन्टेंजिबल कल्चरल हेरीटेज’ ने साउथ कोरिया स्थित जेजु शहर में आयोजित किये गए अपने 12वें सत्र में कुम्भ मेला को 'मावनता के अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की प्रतिनिधि सूची' पर शामिल किया है।
भारत देश में मनाया जाने वाला कुंभ का मेला सबसे बड़ा उत्सव है। यह उत्सव प्रसिद्द नदियों के किनारे मनाया जाता है। इस उत्सव को बोत्सवाना, कोलंबिया, वेनेजुएला, मंगोलिया, मोरक्को, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात के सांस्कृतिक समारोहों के साथ एक सूची में रखा गया है।
इस खबर पर ख़ुशी जताते हुए विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण संबंधी अंतर सरकारी समिति की बैठक 4 से 9 दिसंबर के बीच हुई है, योग और नवरोज के बाद पिछले दो वर्षो में इस प्रकार की मान्यता प्राप्त करने वाला कुंभ मेला (5.1-6) तीसरा धरोहर है । यह देश के लिए गर्व की बात है।
इस मौके पर बीजेपी के केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने ट्वीट किया कि 'हमारे लिए ये बेहद गौरव का क्षण है कि यूनेस्को ने कुंभ मेला को मानवता के अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के तौर पर जगह दी है.' उन्होंने कहा, 'कुंभ मेला को धरती पर श्रद्धालुओं का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण जमघट समझा जाता है जिसमें जाति, पंथ या लिंग से इतर लाखों लोग हिस्सा लेते हैं.'