सीजफायर में सेना पर हुए हमले के बाद भाजपा ने पीडीपी से वापिस लिया समर्थन

भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू और कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से गठबंधन तोड़ने का निर्णय ले लिया है और उन्होंने महबूबा मुफ्ती गवमेंट से अपना समर्थन भी वापस ले लिया है। भाजपा कोटे से सरकार में मौजूद सभी मंत्रियों ने मंगलवार को इस निर्णय के साथ हीं अपने इस्तीफे दे दिए। खबर है की महबूबा ने भी अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया है।

बता दें की दोनों हीं दलों के मध्य करीब तीन साल पहले ये गठबंधन हुआ था और प्रदेश में महबूबा मुफ़्ती की सरकार बनी थी। इस के साथ हीं पहली बार घाटी में भाजपा की सरकार ताकत में आई थी और इससे बहुत सारी उम्मीदें लगाई गयी थी। परन्तु भाजपा इस सरकार में बहुमत में नहीं थी इसलिए वो वहां खुल कर अपने वादे पूरे नहीं कर पाई और आखिरकार मंगलवार को इस गठबंधन का पटाक्षेप हो गया।

वहीं दूसरी तरफ सरकार के गिरते हीं नयी सरकार की संभावनाओं पर चर्चा शुरू हो गई पर फिलहाल कांग्रेस और पीडीपी दोनों ने एक दूसरे के साथ मिलकर किसी भी प्रकार के गठबंधन की संभावना से साफ़ इनकार कर दिया है। वहीं, कश्मीर की दूसरी बड़ी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी इस दौरान किसी नए गठबंधन की संभावना से साफ़ इनकार कर दिया है। प्रदेश के राज्यपाल एनएन वोहरा इसी महीने अपना कार्यकाल पूरा करने वाले हैं। चर्चा यह भी है कि उनका यह कार्यकाल अभी तीन और महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। ऐसे में जम्मू और कश्मीर में फिलहाल राज्यपाल शासन लागू होने के ज्यादा आसार नजर आ रहें हैं।

गठबंधन से बाहर आने की दो वजहें भाजपा द्वारा बताई जा रही हैं । राम माधव ने इस पूरे मामले पर कहा, ‘‘घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ, हिंसा बढ़ रही है। ऐसे माहौल में सरकार में रहना मुश्किल था। रमजान के दौरान केंद्र ने शांति के मकसद से ऑपरेशंस रुकवाए। लेकिन बदले में शांति नहीं मिली। जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बीच सरकार के भेदभाव के कारण भी हम गठबंधन में नहीं रह सकते थे।’’

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