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कई त्योहारों के मेल से बना एक त्यौहार है क्रिसमस

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार क्रिसमस मनाये जाने की ...

6 years ago
कई त्योहारों के मेल से बना एक त्यौहार है क्रिसमस

ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार क्रिसमस मनाये जाने की प्रथा करीब - करीब चार हजार साल पुरानी है। ईसा मसीह के जन्म से भी शताब्दियों पुरानी है क्रिसमस मानाने की परंपरा। एक रिसर्च के अनुसार यह  त्यौहार असल में रोमन साम्राज्य के दौरान मनाया जाने वाला एक त्यौहार सैंचुनेलिया का अनुकरण है। यह त्यौहार दिसंबर मध्य में शुरू होकर जनवरी तक मनाया जाता था। तोहफे की अदला-बदली, दोस्तों से मिलना, स्वादिष्ट पकवान बनाना और पेड़ पौधे और फूलों से पूरे घर की सजावट इस त्यौहार की मुख्य रश्में थी। 

कई अलग अलग स्त्रोतों के अनुसार बाद में यह त्यौहार बरुमेलिया अर्थात सर्दियों के मौसम के बड़े दिन के नाम से मनाया जाने लगा। चौथी सदी आते आते इसी त्यौहार का विलय क्रिसमस में हुआ। क्रिसमस त्यौहार के मनाने की रश्म भी रोमन त्यौहार मनाने के रश्मों से काफी मिलती जुलती थी। कालांतर में इसे ही सन 98 में ईसा मसीह के जन्मदिवस के रूप में मनाया गया। 

रोम के तत्कालीन बिशप ने सन 137 में इसे हर किसी के द्वारा मनाये जाने का ऐलान करवा दिया। रोम के ही एक दूसरे बिशप “यूलियस” ने भी 350 ईस्वी में 25 दिसम्बर को क्रिसमस के लिए उपयुक्त मान लिया। इसके अलावा भी कई अलग अलग स्थानों पर मनाये जाने वाले अलग अलग त्योहारों से भी क्रिसमस की समानता देखी जाती है। 

कोई नहीं जानता ईसा मसीह के जन्म की वास्तविक तिथि। यहाँ तक की बाइबल में भी इस बारे में कुछ सही सही नहीं लिखा, कहीं कहीं तो ऐसे भी तथ्य मिलते हैं जिससे पता चलता है कि येशु का जन्म सर्दियों में हुआ ही नहीं। 

मैसोपोटामिआ में सर्दियों के आगमन पर एक त्यौहार मनाया जाता था जिसमे वहां के देवता मार्डुक दानवों से युद्ध करते थे। मार्डुक के इस युद्ध के साथ ही नए साल का भी त्यौहार मनाया जाता था। 

सैसिया नाम का एक त्यौहार जो की बेबीलोनिया और पर्शिया में मनाया जाता था, इस त्यौहार से भी क्रिसमस के त्यौहार की समानताएं मिलती हैं। 

भूत, चुड़ैल और दुष्ट आत्माओं पर प्राचीन यूरोपीय विश्वास करते थे। सर्दिओं में जब दिन छोटे और रातें लम्बी होती थी तब वहां के लोगों में डर की भावना आ जाती थी कि अब शायद सूर्य देवता वापस ही नहीं आएंगे। अतः सूर्य की वापसी करने के लिए ये लोग कई तरह के रश्म अदा करके त्यौहार मानते थे। 

सकैण्डीनेविया के सर्दियों में सूर्य महीनों तक सूर्य गायब रहता था। सूर्य के वापस आगमन की चाह में 35 दिन बाद वहां के लोग पहाड़ों पर निरीक्षक भेजते थे जो सूर्य के पहले किरण की सुचना लेकर लौटते थे। इसी शुभ सूचना को वहां के लोग यूलटाइड नाम के त्यौहार के रूप में मानते थे। 

बहरहाल क्रिसमस का वर्तमान स्वरूप भगवान् येशु के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। पर इसमें कहीं न कहीं बहुत सारे अलग अलग स्थान विशेष रूप से मनाये जाने वाले प्राचीन त्योहारों का भी सम्मिश्रण प्रतीत होता है।

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