गूगल की जॉब छोड़ समोसा बेचने के व्यवसाय से पाई सफलता, फोर्ब्‍स अंडर 30 अचीवर्स लिस्ट में शामिल

5 years ago
गूगल की जॉब छोड़ समोसा बेचने के व्यवसाय से पाई सफलता, फोर्ब्‍स अंडर 30 अचीवर्स लिस्ट में शामिल

अभी हाल हीं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब पकोड़े बेचने वाले को भी एक तरह के रोजगार श्रेणी से जोड़ा तो उनके विरोधियों ने उनका बहुत मज़ाक उड़ाया था पर हम अपने आसपास देखें तो ऐसी कई कहानियाँ देखने को मिलती है जब लोगों ने ऐसे हीं छोटे छोटे स्वरोजगार खोलकर एक ऊँचा मुकाम हासिल किया है। उदाहरण स्वरूप धीरूभाई अंबानी का नाम ले सकते हैं जिन्होंने बहुत छोटे स्तर से अपनी शुरुआत कर के जल्द हीं शिखर तक का सफर तय किया और आज उनके इस दुनिया से चले जाने के बाद भी उनकी कम्पनी विश्व की अग्रणी कम्पनी बनी हुई है।

एक ऐसी हीं शुरुआत मुंबई के युवा मुनाफ ने भी की है। ऐसा कहा जाता है कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता है और इसी तथ्य को साबित किया है युवा मुनाफ ने । क्या आप विश्वास कर सकते हैं की कोई लड़का विश्व की अग्रणी कम्पनी गूगल की नौकरी छोड़ कर समोसे की दूकान खोल ले? मुनाफ ने कुछ ऐसा हीं किया है और अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए गूगल की लाखों के पैकेज वाली जॉब को छोड़ दिया। बताया जाता है की मुनाफ छुटपन से ही लीक से हट कर कुछ करना चाहते थे।

कोई भी इंसान बचपन से कभी भी समोसा बेचने वाला नहीं बनना चाहता है मुनाफ भी ऐसा बचपन से नहीं चाहते थे। यह महज कुछ पलों में लिया गया एक निर्णय भर था । ज्यादातर लोग समोसे के काम को करने के लिए एक अच्छे पैकेज की जॉब छोड़ देने को बचकाना कहते थे लेकिन मुनाफ के महज 1 वर्ष में अपने इस नए कार्य से 50 लाख से अधिक की कमाई कर के सबको करारा जवाब दे दिया। बता दें कुछ वर्षों तक गूगल के साथ काम करने के बाद मुनाफ को ऐसा लगा कि, वो इस कार्य से कुछ बेहतर कर सकते हैं। बस इसी सोच ने मुनाफ के दिमाग में समोसे के बिजनेस का एक नया आईडिया आया और इस आयडिया को लेकर वो विदेश से अपने घर लौटे गए। उन्‍होंने यहां अपना समोसे का बिजनेस शुरू कर दिया।

अगर आप आईटी फील्ड में काम करते हैं या इस फिल्ड में काम करने वालों के बारे में जानते हैं तो आपको पता होगा की गूगल जैसी कम्पनी में नौकरी मिलना किसी सपने के सच हो जाने जैसा होता है। गूगल में जॉब करने का मतलब है की पूरी जिंदगी शान और आराम से जीना फिक्स हो गया । अगर बात गूगल के किसी एम्प्लॉई की तनख्वाह की करें तो वहां फ्रैशर्स को भी करोड़ों रूपये का पैकेज ऑफर होता है । पर मुनाफ ने अपनी गूगल की अच्छी खासी जॉब को छोड़ कर समोसे बेचने का निर्णय कर के सबको चौका दिया। इसी का परिणाम है की आज मुनाफ के द्वारा खोला गया 'द बोहरी किचन' सलाना करीब 50 लाख से भी ज्यादा का टर्नओवर दे रहा है।

मुनाफ कपाड़िया गर्व से बताते हैं "मैं वो व्यक्ति हूं जिसने समोसा बेचने के लिए गूगल की नौकरी छोड़ दी।" लेकिन उनके समोसे की भी कुछ खासियत है। दरअसल उनके समोसे मुंबई के बहुत सारे पांच सितारा होटलों के साथ साथ बॉलीवुड के नामचीन हस्तियों के बीच भी बहुत ज्यादा प्रसिद्द हो गए है । मुनाफ ने मैनेजमेंट की पढ़ाई की थी और उन्होंने एमबीए कम्प्लीट करने के बाद  कुछ कंपनियों में नौकरी की और फिर वे विदेश चले गए थे।विदेश में ही भी उन्होंने कुछ कंपनियों में इंटरव्‍यू दिया जिसके बाद उन्हें गूगल में जॉब मिल गई। बस कुछ सालों तक गूगल में जॉब करने के बाद मुनाफ को ऐसा लगा कि, वो इससे भी ज्यादा बेहतर कार्य कर सकते हैं। बस वो दिन है और आज का, आज उनके समोसे उनकी कहानी बयान कर रहे हैं।

मुनाफ का घर जहाँ है वहां वहां ज्यादातर मध्यमवर्गीय परिवार रहते हैं। लेकिन जिस प्रकार का आइडिया मुनाफ के दिमाग में आया था उस हिसाब से उन्हें यहां के परिवेश में ग्राहक मिलना आसान नहीं था। इसीलिए मुनाफ ने अपने शुरूआती दिनों में एक प्रयोग करने की सोची और इसी सिलसिले में उन्होंने अपने 50 दोस्तों को खाने पर बुलाया। जब उनके दोस्त आये तो मुनाफ ने अपनी मां के हाथों से बना खाना दोस्तों को खिलाया। सभी दोस्तों ने उनके खाने की बहुत तारीफ भी की। इससे मुनाफ को अपनी सोच को बढ़ने के लिए बल मिला और वह अपने इस अनूठे सपने को सच करने की कोशिशों में लग गए।

आज मुनाफ 'द बोहरी किचन' के नाम से एक रेस्‍टोरेंट चला रहे हैं। मुनाफ इसके बारे में बताते हैं की इस रेस्टोरेंट में सिर्फ समोसे ही नहीं मिलते पर समोसा उनके इस रेस्टोरेंट का ट्रेडमार्क ज़रूर है। दरअसल मुनाफ दाऊदी बोहरा समुदाय से आते हैं जो अपने काने के लिए बहुत फेमस हैं और उनकी डिशेज काफी अच्छी होती हैं। अपने समुदाय की इन्ही डिसेज को वे अपने रेस्टोरेंट में परोसते हैं। इन डिसेज में मुख्य है मटन समोसा, नरगि‍स कबाब, डब्‍बा गोश्‍त, कढ़ी चावल इत्यादि। इसके अलावा बोहरी थाल स्वादिष्ट मटन समोसा, नरगीस कबाब, डब्बा गोश्त, करी -चावल आदि के लिए भी यह बहुत मशहूर है। वह कीमा समोसा और रान भी बनाते हैं, जिसकी डिमांड बहुत अधिक होती है। बता दें मुनाफ के इस रेस्टोरेंट ने खुलने के एक साल बाद हीं टर्नओवर 50 लाख पहुंचा दिया था। मुनाफ अपनी इस कमाई को अगले आने वाले कुछ सालों में 3 से 5 करोड़ तक पहुंचाना चाहते हैं।

कहते हैं ना की मेहनत का फल देर सवेर मिल हीं जाता है। इसी का परिणाम है कि मुनाफ का यह काम इतना ज्यादा प्रसिद्ध हुआ कि फोर्ब्‍स ने अंडर 30 अचीवर्स की अपनी लिस्‍ट में भी उनका नाम शामिल किया ।  मुनाफ अपनी कंपनी के सीईओ हैं। मुनाफ के रेस्टोरेंट द बोहरी किचन में इतनी ज्यादा भीड़ होती है कि यहां पर खाने के लिए लोग ख़ुशी ख़ुशी इंतजार करना भी पसंद करते है। अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय मुनाफ अपनी मां को देते हैं, वे कहते हैं की उनकी माँ के बिना यह सब कभी भी संभव नहीं हो पाता।

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