इतिहास का सबसे अमीर व्यक्ति, जिसके पास थे करीब 400 अरब डॉलर की अकूत सम्पत्ति

5 years ago
इतिहास का सबसे अमीर व्यक्ति, जिसके पास थे करीब 400 अरब डॉलर की अकूत सम्पत्ति

पश्चिमी अफ्रीका के टिम्बकटू के राजा मनसा मूसा इतिहास के सबसे अमीर व्यक्ति हुआ करते थे। इनका जन्म 1280 में माली साम्राज्य में हुआ था। इन्हे 1312 में माली साम्राज्य का शासक बनाया था। मूसा माली साम्राज्य के 10 वे राजा थे। अटलांटिक महासागर के किनारे को खोजने के लिए गए माली साम्राज्य के राजा अबू बकर द्वितीय के इस यात्रा के दौरान गायब हो जाने के बाद इन्हे शासक बनाया गया था। जिस समय इन्हे राजा बनाया गया था उस समय इनके राज्य सोने की खानो से भरपूर थे। इनके राज्य की सीमा का अंदाजा लगाना मुश्किल था वही इनकी संपत्ति को सांख्यिक तौर पर बताना भी नामुमकिन था।

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मूसा ने अपना शासन बेहद ही ईमानदारी से निभाया था इनका उद्देश्य सिर्फ लोगो की भलाई करना था। वे शिक्षित थे और वे शिक्षा का महत्व को भलिभाँति जानते थे, इसलिए उन्होंने अपने पूरे राज्य में पुस्तकालयों और विश्वविद्यालयों की स्थापना करवाई। मूसा टिम्बकटू को शिक्षा का केंद्र बनाना चाहते थे। सत्ता में रहते हुए मूसा ने अपने राज्य की सीमाओं का विस्तार भी किया। कुल मिलाकर, उनका साम्राज्य 2000 मील से भी अधिक फैल गया था। उन्होंने गाम्बिया, बुर्किना, नाइजर, गिनी, चाड, मॉरिटानिया और सेनेगल पर शासन किया।

एक आदमी, कई नाम

मूसा को लोगो ने  ‘Emir of Melle’, ‘Conqueror of Ghanata’, ‘Lord of the Mines of Wangara’ और माली के शेर जैसे कई नाम दिए। 

मूसा ने अपने शासन में क्या उपलब्धियाँ प्राप्त की 

1312 से 1337 तक मूसा ने माली साम्राज्य पर शासन किया। मूसा ने आसपास के 24 शहरों व गावों की सम्पति को अपने राज्य में मिला लिया था। अटलांटिक तट से टिम्बकटू और सहारा रेगिस्तान तक मूसा ने अपना व्यापार केंद्र बढ़ा दिया था। इन्होंने अपने कार्यकाल में एक यात्रा की थी। इस यात्रा का उद्देश्य पूरे अरब देशों का ध्यान अपनी और आकर्षित करना था। 1324 में मूसा ने टिम्बकटू से मक्का तक की यात्रा की, इस यात्रा में करीब 60 हजार लोगो ने हिस्सा लिया था। इस दौरान 12 हजार मूसा के निजी सेवक भी साथ में थे। मूसा की सवारी के आगे करीब 600 लोगो का छोटा सैन्य दल चलता था। इनके संदेशवाहको के पहनने के लिए रेशम का लिबास हुआ करता था, इन संदेशवाहको की संख्या करीब 500 हुआ करती थी।

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यात्रा में करीब 80 ऊँट भी शामिल थे जिन पर करीब 160 किलो सोना लदा हुआ था। मूसा इतने दयालु थे कि वे यात्रा में मिश्र की राजधानी काहिरा से गुजरे तो वहाँ के ग़रीबों को इतना सोना दान कर दिया कि उस पूरे क्षेत्र में महगाई अपने चरम पर पहुंच गयी थी। मूसा ने यात्रा मार्ग में आने वाले विभिन्न शहरों की मस्जिदों का जीर्णोद्धार करवाया। इस यात्रा की कहानी जब लोगो के कानों तक पहुंची तो यूरोपीय लोग सिर्फ मूसा की दौलत के बारे में जानने के लिए वहाँ घूमने गए थे। 

यात्रा के बाद जब मूसा की दौलत की पुष्टि हुई तो उस समय के महत्वपूर्ण नक़्शे “कैटलन एटलस” में माली साम्राज्य और उनके राजा का नाम नक़्शे पर अंकित किया गया। 

टिम्बकटू कैसे बना व्यापार का केंद्र 

1325 में मूसा ने यात्रा से वापस आकर टिम्बकटू में अपने लिए एक महल बनवाया। यात्रा से वे अपने साथ अंडालूसिया और काहिरा के कई प्रतिभाशाली वास्तुकार भी लाये जिन्होंने टिम्बकटू में डीजेंग्यूबर मस्जिद का निर्माण किया। ये मस्जिद आज भी मौजूद है। इसके साथ ही मूसा ने गाओ में मस्जिद का निर्माण करवाया जिसे गाओ मस्जिद के नाम से जाना गया है। इस पूरे निर्माण में पहली बार पश्चिम अफ्रीका में पक्की ईटो का उपयोग किया गया था। इसके साथ टिम्बकटू में मूसा ने एक विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया जिसमे दूर दूर से लोग इस्लामिक छात्रवृति के कारण पढ़ने के लिए आने लगे। 

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जैसे ही यह समाचार दक्षिण यूरोप में फैलने लगा जेनोआ और वेनिस के व्यापारियों ने सोने से निर्मित सामान के व्यापार के लिए इसे केंद्र बनाया। 

अपने शासनकाल के अंत तक मूसा ने एक ऐसे विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया जिसमे 25000 विद्यार्थी को जगह देने के लिए समर्थ था। इस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में करीब 1,00,000 से ज्यादा पांडुलिपियां मौजूद थी। 

जब 1330 में मोसी राज्य के राजा ने टिम्बकटू पर विजय प्राप्त की थी, तो मूसा ने तुरंत अपने शहर को वापस पा लिया था और पत्थर से निर्मित भवन का निर्माण करवाया वही दूसरी ओर शहर को भविष्य में होने वाले हमलों से बचाने के लिए सेना का भी गठन करवाया। 

मनसा मूसा इतिहास के उन महान राजाओं में से था जिन्होंने अपनी दौलत का उपयोग लोगो की भलाई के लिए किया। 

शिक्षा को बढ़ावा दिया 

मूसा ने अपने राज्य में शिक्षा मुफ्त कर दी थी। उन्होंने लोगो को शिक्षित होने के लिए प्रोत्साहित किया था। पुस्तकालयों और विश्वविद्यालयों का निर्माण करवाकर छात्रवृति के माध्यम से आस पास के शहर के लोगो को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। 

इन्हे “मुसा द मैग्निफिशेंट” क्यों कहा जाता था

मूसा अपने न्याय और पवित्रता के लिए जाना जाता था। उनकी यात्रा इतनी सुरक्षित थी कि मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशिया की यात्रा करने वाले प्रसिद्ध यात्री और लेखक ‘इब्न बतूता’ ने लिखा कि मूसा का देश पूरी तरह से सुरक्षित है इस देश में न तो यात्री और न ही इसमें रहने वाले लोगो को किसी प्रकार की हिंसा और लुटेरों का कोई डर है। 

टिम्बकटू की स्थापना 

मूसा ने अपने शासनकाल में कई राज्यों और शहरों पर विजय प्राप्त की। वह टिम्बकटू को दुनिया का सबसे लोकप्रिय शहर बनाना चाहता था इसलिए उसने वहां विश्वविद्यालय व पुस्तकालयों की स्थापना करवाई। विश्वविद्यालय को महान गणितज्ञों व न्यायविदो ने मिलकर विश्व भर में बहुत लोकप्रिय बना दिया था। 

कितना धन था मनसा मूसा के पास मरते वक्त 

14 वी शताब्दी के राजा को आज भी सबसे आमिर व्यक्ति कहा जाता है। 2012 में सेलिब्रिटी नेट वर्थ ने हर समय के सबसे अमीर लोगो की सूची जारी की थी जिसमे मनसा मूसा को शीर्ष पर रखा गया था। मूसा के पास मरते वक्त 400 अरब डॉलर के करीब दौलत थी। माली साम्राज्य पूरे विश्व के लिए सोने और नमक की आपूर्ति के लिए जिम्मेदार था। 

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मूसा ने 25 साल तक माली साम्राज्य पर राज किया और सन 1331 में मूसा की मृत्यु हो गयी। इतिहासकारों और अरब विद्वानों के बीच उनकी मृत्यु को ले कर एक मत नहीं हो पाया है। कई लोगो का दावा है कि मूसा कि मृत्यु 1337 में हुई थी पर उनकी मृत्यु की सही तिथि और कारण आज भी रहस्य बना हुआ है।  

मूसा को इतिहासकारों द्वारा 'मुसा द मैग्निफिशेंट' कहा जाता था। उन्हें ये सम्मान उनके ज्ञान और उनपर उस समय के लोगों के विश्वास के लिए दिया गया था।

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