2017 में स्कूल स्टूडेंट्स द्वारा किये गए 6 जबरदस्त अविष्कार

आज हम आपको कुछ ऐसे बच्चों का परिचय देने जा रहे है। जिन्होंने साल 2017 में कुछ ऐसे ही अविष्कार किए है।

6 years ago
2017 में स्कूल स्टूडेंट्स द्वारा किये गए 6 जबरदस्त अविष्कार

आज हम आपको कुछ ऐसे बच्चों का परिचय देने जा रहे है। जिन्होंने साल 2017 में कुछ ऐसे ही अविष्कार किए है। जो हमारी बहुत-सी परेशानियों को कम कर देगा। इन सभी बच्चों को अपने अविष्कारों के लिए सम्मान भी मिल चूका है। आइये देखते है उन बच्चों के अविष्कारों को। 

काव्या विग्नेश

Source = Facebook

भारत की राजधानी दिल्ली में रहने वाली 12 साल की काव्या ने एक नया इनोवेशन किया है। जो वाकई एक नै सोच का ही परिणाम है। काव्या ने एक रोबोट का अविष्कार किया है। इस रोबोट की मदद से मधुमक्खियों को बिना नुकसान पहुंचाए उन्हें छत्ते से हटाया जा सकता है। काव्या के मुताबिक, इस रोबोट की मदद से मधुमक्खियों को संरक्षण मिलेगा।  

काव्या रोबोटिक्स के क्षेत्र में दुनिया की प्रतिष्ठित प्रतिस्पर्धा 'फर्स्ट लेगो लीग' में क्वालीफाई करने वाली भारत की सबसे युवा टीम मेंबर है। उन्होंने रोबोटिक्स के क्षेत्र में कई अवार्ड्स भी अपने नाम किये है।

एनर्जी एफिशिएंट कार

क्या आप जानते है एक ऐसी कार है। जो 300 का एवरेज देती है। आप सोच रहे होंगे भला ऐसी कार भी होती है। जो 300 का एवरेज देती है। परन्तु यह बात बिलकुल सही है। यह करिश्मा 'इंदिरा गाँधी टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमन' की 15 लड़कियों की एक टीम ने  करके दिखाया है।

यह कार तीन पहियों की है। इस कार का नाम एनर्जी एफिशिएंट है। इस कार को बनाने वाली 15 लड़कियों की टीम में महज 18 से 21 साल की आयु वाली लड़कियां शामिल है। इन लड़कियों की टीम "टीम पेंथेरा" को सिंगापुर में आयोजित Shell Eco Marathon में कई अवार्ड्स मिल चुके हैं।

रिफत शारुक ने बनाया सैटेलाइट

Source = Innov8tiv

क्या आपने कभी 64 ग्राम के सैटेलाइट के बारे में विचार किया है। नहीं ना, लेकिन तमिलनाडु के पल्लापत्ती में रहने वाले स्टूडेंट रिफत शारूक इस नामुमकिन काम को मुमकिन करके दिखाया है। 

रिफत शारुक ने अपने इस सैटेलाइट का नाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम जी को डेडिकेट किया है। इस सैटेलाइट का नाम रिफत ने "कलामसेट" रखा है। इस सैटेलाइट का मुख्य काम यह है कि इसमें थ्रीडी प्रिंटेड कार्बन फाइबर की क्षमता को डेमोंस्ट्रेट करता है।

नासा द्वारा लॉन्च किये गए इस सैटेलाइट को 'क्यूब्स इन स्पेस' नाम के एक कॉम्पिटिशन की मदद से सिलेक्ट किया गया था, जिसे 'नासा' और 'आई डूडल लर्निंग' नाम के एक ऑर्गनाइजेशन ने संयुक्त रूप से आयोजित करवाया था।

गॉगल फॉर ब्लाइंड

Source = Wittyfeed

अरुणाचल प्रदेश के अनंग तदार ने नेत्रहीन लोगों के लिए एक अनोखा चश्मा बनाया है। इसकी मदद से सभी नेत्रहीन इंसान किसी भी इंसान के बिना सहारे कही पर भी आ, जा और चल सकते है।अनंग तदार ने अपने इस प्रोजेक्ट को "गॉगल फॉर ब्लाइंड" नाम दिया है। 

अनंग के अनुसार, जब भी कोई व्यक्ति किसी भी नेत्रहीन व्यक्ति के पास आता है। तो इस गॉगल की मदद से नेत्रहीन व्यक्ति को इसमें लगे हुए पार्किंग सेंसर की एक बीप से पता चल जाएगा। 

अरुणाचल प्रदेश की मुख्यमंत्री श्रीमति पेमा खांडू ने अनंग तदार के "गॉगल फॉर ब्लाइंड" प्रोजेक्ट की तारीफ की और इस प्रोजेक्ट का प्रोटोटाइप बनाने के लिए अनंग को आर्थिक रूप से मदद करने की घोषणा की है।

अनंग तदार को इस प्रोजेक्ट के अविष्कार के लिए "दीनानाथ पांडेय स्मार्ट आईडिया इनोवेशन अवार्ड" से भी सम्मानित किया जा चूका है।

साइलेंट हार्ट अटैक का पता लगाने की तकनीक

Source = Hindustantimes

तमिलनाडु में 10वी क्लास के छात्र आकाश मनोज ने साइलेंट हार्ट अटैक का पता लगाने वाली एक तकनीक का अविष्कार किया है। आकाश ने अपने इस इनोवेशन में बताया है कि 

"एफएबीपी3 प्रोटीन यह सबसे छोटे प्रोटीनों में से एक है। यह प्रोटीन हमारे शरीर में पाया जा सकता है। इस प्रोटीन में निगेटिव चार्ज होता है। इसलिए पॉजिटिव प्रोटीन चार्ज की ओर तेजी से आकर्षित होता है।" 

आकाश ने इन सब गुणों का इस्तेमाल करते हुए इस टेक्निक को बनाया है।  

आकाश को हार्ट अटैक साइलेंस के अविष्कार के लिए 'स्कॉलर्स इन रेजीडेंस' प्रोग्राम के अनुसार राष्ट्रपति भवन में रहने के लिए बुलाया गया था।

3D प्रिंटेड सेनेटरी नैपकिन डिस्पेंसर

Source = 3dprint

महाराष्ट्र के मुंबई में कैथेड्रल एंड जॉन कॉननॉन स्कूल की 12वी क्लास की लड़कियों ने अप्रैल माह में 3D प्रिंटेड सेनेटरी नैपकिन डिस्पेंसर को बनाया है। जो कॉइल और लाइट सेंसर की मदद से सेनेटरी नैपकिन को रिलीज करता है।  

3D प्रिंटेड सेनेटरी नैपकिन डिस्पेंसर को बनाने वाली लड़कियां NGOs की मदद से इसे भारत के पिछड़े इलाकों तक पहुंचाना चाहती हैं।

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