कश्मीर के कठुआ जिले में 8 साल की बच्ची की रेप और हत्या, मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश

कश्मीर के कठुआ जिले में आठ साल की मासूम बच्ची आसिफा से सामूहिक बलात्कार और फिर उसकी हत्या का मामला गहरा गया है। इस मामले को लेकर जम्मू-कश्मीर के अलग अलग क्षेत्रों में लगातार प्रदर्शन जारी हैं। बहरहाल इस मामले को साम्प्रदायिक रंग देने की भी कुछ लोगों द्वारा कोशिश की जा रही है। अब हालात यह हो चुकी है कि जम्मू में दो अलग अलग समुदायों के बीच तनाव भी बढ़ता जा रहा है। इस पूरे मामले ने अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है। स्थानीय बार एसोसिएशन इस मामले पर आरोपियों के पक्ष में नजर आ रहा है और प्रदर्शन भी कर रहा है।

बहरहाल जनवरी महीने में हुए इस आठ साल की बच्ची से बलात्कार और फिर हत्या के केस में J&K पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। बताया जा रहा है की पीड़िता को कठुआ जिले के ही एक धार्मिक स्थल में नशे की दवा दे कर रखा गया और इस पूरे घटना को अंजाम दिया गया। इस घटना के बाद से ही आरोपियों को पकड़ कर इंसाफ की मांग को लेकर जगह जगह प्रदर्शन हो रहे हैं।

नाबालिग लड़की का शव पिछले दिनों 17 जनवरी को कठुआ जिले के रसाना जंगलों से बरामद हुआ था। लड़की एक हफ्ते से ग़ायब बताई जा रही थी। पीड़ित लड़की के बारे में बताया गया है की वो खानाबदोश मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखती थी। खबरों के अनुसार इस खानाबदोश समूह को हटाने को लेकर हीं इस पूरी घटना को अंजाम दिया गया। बताया गया की इस पूरी घटना के लिए सभी आरोपियों को काम पर लगाया गया था ताकि ये खानाबदोश बकरवाल समुदाय के लोगों के अंदर डर पैदा कर सके, और इसी कारण से 8 साल की बच्ची के साथ इस जघन्य घटना को अंजाम दिया गया।

मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार कई दिनों तक बंदी बना कर इस बच्ची को रखा गया और इस दौरान उसके साथ कई बार बलात्कार भी किया गया। ये सब यही नहीं रुका, ऐसा आरोप है कि इस मामले की जांच में नियुक्त पुलिस अधिकारी खजूरिया ने बच्ची को मारने से रोका ताकि वो भी पहले उसके साथ बलात्कार कर सके। आखिर में बलात्कार के बाद लड़की के क्षत-विक्षत शव को जंगल में फेंक दिया गया।

इस मामले में आरोप पत्र दाखिल करने जब क्राइम ब्रांच की टीम पहुंची तब वकीलों के एक समूह ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। रोक के बावज़ूद आरोप पत्र जारी कर दिया गया है और विरोध कर रहे वकीलों के विरुद्ध भी मामला दर्ज कर लिया गया है। वकील का समूह इस मामले की पूरी जांच सीबीआई से कराये जाने की मांग कर रहे थे। वकीलों का आरोप था कि क्राइम ब्रांच ने इस जांच के दौरान सांप्रदायिक आधार पर पक्षपात किया है । इस दौरान आरोपियों के समर्थन में बंद का भी आह्वान किया गया है ।

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