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2019 में भारत में केंद्रीय चुनाव होने वाले हैं ऐसे में अगर भारत में फिर से एक बार नरेंद्र मोदी की गवर्नमेंटनहीं बनती है तो यह भारत के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं होगा। ऐसा कहना है निवेश बैंकिंग कंपनी CLSA के मुख्य रणनीतिज्ञ क्रिस्टोफर वुड का। इस बारे में बात करते हुए वुड ने अपने साप्ताहिक न्यूज़ पेपर 'ग्रीड ऐंड फीयर' में एक आर्टिकल लिखा है।
वुड ने लिखा है कि बांड बाजार में बिकवाली आ जाने की वजह से साल 2018 भारत के लिए अभी तक उतना अच्छा नहीं रहा है। उनका ऐसा मानना है कि आने वाले भविष्य में भारत का विकास इस बात पर निर्भर करेगा कि अमेरिका में डॉलर का भविष्य कैसा रहता है। वुड ने अपने लेख में यह माना है कि भारतीय रूपए पर खतरा तेल की कीमतों में वैश्विक स्तर पर निरंतर हो रहे परिवर्तन के कारण से बना हुआ है।
वुड ने अपने लेख में राजकोषीय गिरावट को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया है, उन्होंने लिखा है की वो इसको लेकर बहुत ज्यादा परेशान नहीं हैं। मोदी सरकार के 3.3 % राजकोषीय घाटा पर वुड का ऐसा मानना है कि यह अत्यधिक शिथिलता की ओर इंगित नहीं करता है। इस कारण से ये प्रश्न उठता है कि क्या प्रधान मंत्री मोदी वाकई में एक पॉपुलिस्ट नेता के तौर पर सामने आ पाएंगे? क्योंकि अगर वो एक पॉपुलिस्ट नेता के तौर पर सामने आते हैं तो फिर वो उनके खुद के राजनीति सिद्धांतों के विरुद्ध चले जाएंगे।
वुड द्वारा लिखे इस लेख के मुताबिक़ नरेंद्र मोदी देश की विकास तथा देश में निवेश को प्रोत्साहन देते रहते हैं और वह वितरण की नीति में भरोसा नहीं करते हैं। क्रिस्टोफर वुड ने भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र को फिलहाल सबसे बेहतर करार दिया है। उनका ऐसा मानना है कि भारत का वर्तमान में रियल एस्टेट क्षेत्र में हर किसी को बजट में एक घर देने का सपना पूरा करने का निर्णय एक सराहनीय कदम है ।
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