डोकलाम विवाद पर मोदी सरकार की बड़ी जीत, चीन को हुए कई राजनीतिक नुकसान

भारत और चीन के बीच चल रहे विवाद पर अब विराम लग गया है। यह ब्रिक्स की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाग लेने के लिए चीन जाने से ठीक पहले हुआ है। विवादित क्षेत्र से भारत और चीन की सेनाओं ने अपने-अपने सैनिकों को धीरे-धीरे पीछे हटाने का फ़ैसला किया है। साथ ही अब दोनों देशो की ओर से होने वाली तीखी बयानबाजी भी बंद हो गयी है।    

चीन द्वारा लगातार दी जा रही युद्ध की धमकी का असर भारत पर न देख अब चीन भी पीछे हट गया है जो की पीएम मोदी के लिए बड़ी जीत है। वही चीन के लिए यह हार की बात है। भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चीन दौरे का ऐलान कर दिया है। 3 से 5 सितंबर के दौरान मोदी नौवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन के शियामेन शहर जाएंगे। चीन को शंका थी कि यदि विवाद बना रहता है तो इसका असर ब्रिक्स सम्मेलन पर पड़ता।   

चीन का डोकलाम विवाद पर पीछे हटने का एक कारण यह भी  सामने आ रहा है कि उस स्थान पर भारतीय सेना बहुत मजबूत स्थिति में है। भारत ने इसके अतिरिक्त LAC से सटे पूरे इलाके में अपनी सेना की किलेबंदी कर ली थी। साथ ही सिक्किम, लद्दाख, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश हर स्थान पर भारतीय सेना ने अपनी मजबूती बढ़ाई है।  

बहुत कम देशों ने डोकलाम के मुद्दे पर चीन को सही ठहराया था, जबकि भारत के समर्थन में कई देश नजर आए। चीन की कई देशों ने तो कड़ी निंदा भी की। इससे साफ दिखाई देता है कि डोकलाम विवाद ने कई देशों को चीन के विरुद्ध खड़ा कर दिया है।

डोकलाम विवाद पर भारत को लाभ हुआ है तो वही पर चीन को नुकसान भी बहुत हुआ है। स्वयं को ग्लोबल लीडर बनाने की तैयारी कर रहे चीन की छवि पर एक बड़ा धब्बा लग चुका है।

भारत की दावेदारी पर चीन ने निरंतर सुरक्षा परिषद में सवाल उठाए हैं। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत लगातार अपनी पक्की जगह के लिए दावेदारी कर रहा है। परन्तु वह सफल नहीं हो पाया है, लेकिन डोकलाम विवाद पर कड़े रुख के साथ-साथ दिखाए गए संयम ने पूरी दुनिया में भारत की साख को मजबूत किया है। डोकलाम के मुद्दे पर दुनिया के कई देशों ने भारत को सपोर्ट भी किया है।

भारत पर साख जमाने के साथ ही शी जिनपिंग राष्ट्रपति के रूप में अपने दूसरे कार्यकाल की तैयारी कर रहे थे, क्योंकि यदि वे इस मुद्दे पर भारत को झुका पाते तो अपनी पार्टी में उनकी दावेदारी ओर भी ठोस होती। परन्तु शायद अब ऐसा मुश्किल से ही हो पाए।

वुडरो विल्सन इंटरनेशनल सेंटर के माइकल कुगेलमैन ने कहा कि कोई भी पक्ष संघर्ष को नहीं बर्दाश्त कर सकता। जबकि अभी भी खतरा टला नहीं है। तनाव की स्थिति अभी भी बनी हुयी है। पाकिस्तान की चीन के साथ गहराती साझेदारी और बेल्ट एंड रोड पहल की तेज प्रगति भारत के लिए चिंता का विषय हैं।

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