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गुजरात में सीटों के हिसाब से मिली छोटी जीत भी है भाजपा के लिए बहुत अहम्

कुछ साल पहले की बात है, भारत और श्रीलंका के बीच वन

6 years ago
गुजरात में सीटों के हिसाब से मिली छोटी जीत भी है भाजपा के लिए बहुत अहम्

कुछ साल पहले की बात है, भारत और श्रीलंका के बीच वनडे क्रिकेट मैच चल रहा था। मैच के आखिर में भारत को जीत के लिए एक रन बनाने थे और साथ ही साथ सलामी बल्लेबाज वीरेंदर सहवाग 99 के स्कोर पर खेल रहे थे। श्रीलंकाई गेंदबाज ने जानबूझ कर एक दिशाहीन गेंद फेंकी और अम्पायर ने दोनो हाथ उठाकर वाइड बॉल का इशारा कर दिया, इस वाइड बॉल से मिले अतिरिक्त रन से भारत मैच जीत गया पर सहवाग का शतक नहीं बन पाया। श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने सहवाग के शतक ना बना पाने की ख़ुशी मनाई, जबकि वो मैच हार गए थे। कल गुजरात चुनाव के परिणामों में भाजपा की 99 सीट आने पर विपक्षी दल के लोगों को ख़ुशी मनाते देख श्रीलांकाई खिलाड़ियों की वो ख़ुशी याद आ गई। 

बहरहाल चुनाव परिणाम आ चुके हैं और परिणामों का लब्बोलुआब ये है कि भाजपा फिर एक बार सरकार बनाएगी और कॉंग्रेस विपक्ष में बैठेगी। आलोचकों ने बहुत सारी बातें कीं हैं जिनमे उन्होंने भाजपा के पिछले चुनावों के परिपेक्ष में घटते सीटों की संख्या को भाजपा के घटते ग्राफ के साथ जोड़ा है। 

वैसे अगर विस्तार से गुजरात के पिछले 22 साल के राजनीति का अध्ययन करें तो हम पाएंगे की इस बार की जीत भारतीय जनता पार्टी के लिए कई मायनों में विशेष है। इस बार के चुनावों में परिस्थितियां भाजपा के अनुकूल बिलकुल भी नहीं थी। पाटीदारों के हिंसक आंदोलन से शुरू हुए विरोध के कारण एक बड़ा वोट बैंक जो हमेशा से भाजपा के लिए वोट करता था इस बार छिटकता हुआ नज़र आ रहा था। 

वहीं विपक्ष में कहीं ना कहीं एकजुटता दिख रही थी, राहुल गाँधी के साथ हार्दिक पटेल का मिल जाना कई वर्गों में मास्टर स्ट्रोक की तरह देखा जा रहा था, जिससे भाजपा के खिलाफ वोटों का एकजुट होना सत्ताधारी दल के लिए चिंता बढ़ाने का विषय हो गया था।

गुजरात भाजपा से नरेंद्र मोदी जी का केंद्र की राजनीति में चले जाना गुजरात भाजपा नेतृत्व में एक शून्य पैदा कर गया है, इसका उदाहरण है जल्दी जल्दी दो बार मुख्यमंत्री का बदला जाना। ऐसे में बिना किसी बड़े नेतृत्व के गुजरात में भाजपा का चुनाव लड़ना विरोधियों को बोलने का मौका दे रहा था। 

केंद्र सरकार द्वारा पिछले दिनों लिए गए कुछ कड़े आर्थिक निर्णयों जैसे नोटबंदी और जीएसटी से भी कुछ व्यापारिक वर्ग में असंतोष देखा जा रहा था। इन सब मुद्दों के साथ ही साथ पिछले 22 सालों की एंटी इंकम्बेंसी को झेलते हुए भी अगर भाजपा बहुमत में आई है तो इसका मतलब है कि गुजरात में उसकी जड़ें बहुत ज्यादा मजबूत है और उसे उखाड़ पाना फिलहाल कुछ सालों तक विपक्ष के लिए बहुत मुश्किल है।

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