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शीर्षक पढ़ के आपके दाहिनी आंख के ऊपर की भौं पुरान
शीर्षक पढ़ के आपके दाहिनी आंख के ऊपर की भौं पुराने जमाने के मशहूर बॉलीवुड विलेन रंजीत के भौं की तरह सवाल करती हुई तन गईं होंगी। भला ये कैसा शीर्षक है? हार का भी कोई योद्धा होता है क्या? योद्धा तो जीत का होता है।
आप बिलकुल सही हैं, योद्धा जीत ही होता है, जैसे सिकंदर, नेपोलियन और समुद्रगुप्त। परन्तु ये किस्से अब पुराने हो गए हैं, अब लोग ज्यादा उदारवादी हो गए हैं, लिबरलिज़्म का जमाना है, आजकल हारने वालों पर भी उदारता दिखाई जाती है। विश्वास ना हो तो कांग्रेस पार्टी को ही देख लीजिये। कांग्रेस के एकलौते लाडले नेता राहुल गाँधी जी उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव जी के साथ हाथ में हाथ थामे जय वीरू बने फिर रहे थे, पर अंत में सबको पता चला ये तो सांभा और कालिया की जोड़ी थी, जिसे गब्बर सिंह अर्थात मुलायम जी ने चुनाव के पहले ही निपटा दिया था।
इस करारी हार के बावजूद दिल्ली के ‘तुगलक’ लेन में रहने वाले राहुल जी पर किसी कॉंग्रेसी नेता ने ऊँगली तक नहीं उठाई, क्या गजब के उदारवादी हैं कॉंग्रेसी भी। अगर पूरी दुनिया में ऐसा उदारवाद फ़ैल जाए तो पाकिस्तान चार बार युद्ध में भारत से हारने के हिसाब से सबसे ज्यादा प्यार पाए।
बहरहाल UP की हार के इनाम स्वरुप कॉंग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद मिलते ही राहुल जी ने पुनः गुजरात और हिमाचल हार कर ये साबित कर दिया कि इनके जैसे हार के योद्धा को राष्ट्रीय अध्यक्ष बना कर कॉंग्रेस ने कोई गलती नहीं की और ये हार का योद्धा अपने हार का औसत ऐसे ही बरकरार रखेगा।
गुजरात चुनावों में राहुल गाँधी जी ने बहुत कोशिश की की वो अपने हार के इतिहास को बदल पाएं, और इसके लिए वो हिंसक जातिवादी, राजनीतिज्ञ हार्दिक पटेल तक के साथ खड़े होने को भी व्यग्र नज़र आये। ये व्यग्रता तब ज्यादा खुल के दिखी जब हार का ये योद्धा कभी अपने ट्विटर पर पीडी नामक अपने पालतू कुत्ते को दुनिया से मुखातिब करा रहा था और रैली के बीच में दसवीं की छात्रा के साथ सेल्फी खींचा रहा था।
क्या इतना अकेला है ये योद्धा की हार्दिक, पीडी, दसवीं के बजाय कोई दूसरा स्थानीय कॉंग्रेसी नेता नहीं मिला अपने साथ खड़ा करने के लिए? क्या सच में इतना तनहा है ? तन्हाई में तो टूटे दिल आशिक दर्द-ए-दिल शायरियां करते हैं भाई... योद्धा बनके मुकाबला नहीं करते। काश कोई होता जो उस हार ये योद्धा को ये समझा पाता, और ये योद्धा तनहा देवदास बनने के बजाय महेंद्र बाहुबली बन कर दोबारा माहिष्मती पर फतह करने की सोच भी पाता।
कुछ दिन पहले इस हार के योद्धा की जापानी मार्शल आर्ट “आइकीडो” करती हुई तस्वीरें वायरल हुई थी.. कोशिश अच्छी थी छवि बदलने की पर जहाँ उनके विपक्षी योग से देश के लोगो से कनेक्ट करते हैं वहीं जापानी “आइकीडो” के बारे में पता करने के लिए ही ज्यादातर लोगों को गूगल की सहायता लेनी पड़ी, कनेक्शन की तो बात हीं छोड़िये । खैर गुजरात और हिमाचल चुनाव तो अब खत्म हो चुके हैं और इसमें करारी शिकस्त भी राहुल जी को मिल चुकी है, पर अगले साल मध्यप्रदेश और राजस्थान के चुनाव आने वाले हैं। ये देखना दिल चप्स होगा कि आखिर ये हार का योद्धा उन चुनावों में जीत का योद्धा बन पाता है या नहीं। ये योद्धा अपने विपक्षी नरेंद्र मोदी से जवाब का सवाल पूछता है पर हम तो आमलोग हैं हमें तो बस इससे मतलब है कि इस सवाल का जवाब मिल पाता है या नहीं।
गुजरात और हिमाचल में मिली करारी हार पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने ट्वीट कर कहा
The Congress party accepts the verdict of the people and congratulates the new governments in both states. I thank the people of Gujarat and Himachal with all my heart for the love they showed me.
— Office of RG (@OfficeOfRG) December 18, 2017
My Congress brothers and sisters, you have made me very proud. You are different than those you fought because you fought anger with dignity. You have demonstrated to everyone that the Congress’s greatest strength is its decency and courage.
— Office of RG (@OfficeOfRG) December 18, 2017
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