भारत को आज से तीन दशक पहले, 1947 में आज़ादी मिली थी।
भारत को आज से तीन दशक पहले, 1947 में आज़ादी मिली थी। लेकिन बहुत मुश्किल से भारतीयों को अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों का उपयोग करने में सक्षम किया गया है। राष्ट्र के विकास और समृद्धि की राह में सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण बाधा शायद एक ही है वो है 'भ्रष्टाचार'। अगर आप अपनी आँखे खोलकर रखें, तो शायद आपको अपने आसपास ही हजारों भ्रष्टाचार के मामले देखने को मिल जायेंगे।
आज हम आपकी नज़र भारतीय इतिहास के 10 सबसे बड़े भ्रष्टाचार घोटालों पर डालेंगे। जिनकी वजह से लाखों-करोड़ो रुपयों के नुकसान के साथ-साथ देश के लिए अपमानजनक भी साबित हुए है।
2010 राष्ट्रमंडल खेलों को भारत में आयोजित किया गया था, लेकिन भारतीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के द्वारा किये गए धन के कुप्रबंधन को लेकर आयोजन को आलोचना का सामना करना पड़ा। आयोजन समिति पर बाल श्रम, सेक्स गुलामी, पर्यावरणीय प्रभाव, नस्लवाद और भारी वित्तीय लागत के रूप में विभिन्न आरोपों का समान करना पड़ा था। इसके अलावा, खेल से सम्बंधित कई अन्य मुद्दों जैसे की आयोजन टीम के अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार, खेलों के आयोजन स्थल के निर्माण, ढांचागत समझौता करने में देरी, और इवेंट से पहले टिकटों की बेहद ख़राब बिक्री के भी आरोप लगे थे। इसके परिणाम स्वरुप कमिटी के चेयरमैन 'सुरेश कलमाड़ी' को आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
राष्ट्र को नुकसान: 70,000 करोड़ रुपए
आरोपी का नाम: सुरेश कलमाड़ी (भारतीय नेता और वरिष्ठ खेल प्रशासक)
बेल्लारी माइनिंग स्कैम एक ऐसा स्कैम था। जिसके परिणाम स्वरूप कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और रेड्डी बंधुओं को इस्तीफे देना पड़ा था। उन पर यह आरोप लगाया गया था कि रेड्डी बंधुओं -'जी करुणाकर रेड्डी' और 'जी जनार्दन रेड्डी' को उनकी खनन कंपनी, बेल्लारी में ओबुलापुरम खनन कंपनी के लिए अनुबंध सुरक्षित करने के लिए रिश्वत का भुगतान किया था।
कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त जस्टिस 'संतोष हेगडे' द्वारा एक रिपोर्ट पब्लिश की गयी थी। जिसमें यह बताया गया था, कि येदियुरप्पा और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा माइनिंग कम्पनीज से ट्रस्टों को दान के नाम पर रिश्वत ली गयी थी।
राष्ट्र को नुकसान: 16,085 करोड़ रुपए (स्रोत: डीएनए इंडिया)
आरोपी का नाम: पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, जी करुणाकर रेड्डी और जी जनार्दन रेड्डी
2 जी घोटाला एक प्रमुख राजनीतिक घोटाला था, जिसने पुरे भारतीय दूरसंचार उद्योग को हिलाकर रख दिया था। टाइम मैगज़ीन ने 2011 की सूची में इस स्कैम को दूसरे नंबर पर रखा था। जिसे "टॉप 10 ऐब्युसेस ऑफ़ पावर 2011" टाइटल दिया गया था। इस स्कैम के तहत भारतीय नेताओं और सरकारी अधिकारियों ने मोबाइल फोन कंपनियों को अंडरचार्जड किया ताकि वह 2 जी स्पेक्ट्रम की फ्रीक्वेंसी एलोकेशन को सब्सक्राइब्ड कर सके। एक पारदर्शी नीलामी प्रणाली होने के बजाय, दूरसंचार बैंडविड्थ निविदा को अंडर प्राइस्ड किया गया था और 'पहले आओ, पहले पाओ' के आधार पर की पेशकश की थी। कई कंपनियों को गलत तरीके से लाइसेंस दिया गया था। जिसके परिणाम स्वरुप आवंटन राष्ट्रीय राजकोष को भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
राष्ट्र को नुकसान: 176,000 करोड़ रुपये (सीएजी द्वारा अनुमानित), 30984 करोड़ रुपये (सीबीआई द्वारा अनुमान)
आरोपी के नाम: ए. राजा (फॉर्मर कम्युनिकेशन्स & आईटी मिनिस्टर) और एम. के. कनिमोझी (तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि की बेटी)
कोयला आवंटन घोटाला एक अनुचित तरीके से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी कंपनियों को देश की कोयला खानों की 155 एकड़ जमीन का वितरण शामिल किया गया। भारत सरकार ने बिना नीलामी के कई कंपनियों को कोयला वितरित किया था। विपक्षी दल भाजपा ने सरकार के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके कारण सीबीआई जांच का फैसला लिया गया था। यह घोटाला 2012 में मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान हुआ था।
राष्ट्र को नुकसान: 186,000 करोड़ रुपए (सीएजी द्वारा अनुमानित)
आरोपियों के नाम: एस जगतरक्षकन, सुबोध कांत सहाय, अजय संचेती, नितिन गडकरी, विजय दर्डा और राजेंद्र दर्डा, नवीन जिंदल, मनमोहन सिंह
चॉपरगेट घोटाला एक ऐसा स्कैम था, जिसमें कई नेताओं के साथ रक्षा अधिकारी भी दोषी पाए गए थे, उन्होंने अगस्टा वेस्टलैंड से कॉन्ट्रैक्ट पास करने के लिए रिश्वत मांगी थी। भारत ने फरवरी 2010 में 12 अगस्ता वेस्टलैंड AW101 हेलीकाप्टरों की खरीद के एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे।
यह स्कैम तीन साल बाद 2013 में तब सामने आया, जब अगस्ता वेस्टलैंड की मूल कंपनी फिनमेक्कानिका के सीईओ गियूसेप्पे ओरसी' को इटालियन अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था। सीबीआई जांच के बाद भारतीय रक्षा मंत्री एके एंटनी ने तीन भारतीय वायु सेना अधिकारी के नाम उजागर किये थे, जिसमें वायु सेना प्रमुख 'शशि त्यागी' का नाम भी शामिल था। 13 मार्च 2013 को सीबीआई ने त्यागी और अन्य 12 अधिकारियों के खिलाफ एफ. आई.आर दर्ज की गई। उन पर कथित धोखाधड़ी और हेलीकाप्टर सौदे में आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया।
राष्ट्र को नुकसान: 3600 करोड़ रुपये (स्रोत: डीएनए भारत)
आरोपी का नाम: पूर्व वायु सेना प्रमुख 'शशि त्यागी'
सरकारी अधिकारियों के साथ (पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव) का नाम भी इस स्कैम में आया था। पूर्वी भारतीय राज्य बिहार पर राज्य सरकार ने राजकोष से भारी धनराशि के गबन का आरोप लगाया था। दोषी ठहराए गए राज्य के अधिकारियों ने पशुओं के लिए फर्जी दवाओं, मवेशियों के चारे और पशुपालन उपकरणों की खरीद के साजिश रची थी। यह घोटाला 1996 में चाईबासा शहर में हुआ था। इस घोटाले को पशुपालन विभाग ने उजागर किया था। इसका परिणाम यह हुआ था कि 'लालू प्रसाद यादव' को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि की उनके ऊपर सभी तरफ से बहुत अधिक दबाव था।
राष्ट्र को नुकसान: 950 करोड़ रुपये
आरोपी का नाम: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव
स्टांप पेपर घोटाले में जालसाज अब्दुल करीम तेलगी ने फर्जी स्टांप पेपर बनाके राष्ट्र को धोखा दिया था। उसने यह फर्जी स्टांप बैंकों, शेयर ब्रोकिंग फर्मों और बीमा कंपनियों को बेचे थे। तेलगी जो कि एक पूर्व फल और सब्जी विक्रेता था, उसने अपना नया जालसाजी का काम फर्जी पासपोर्ट बनाकर शुरू किया था। इस घोटाले से राष्ट्र को करोड़ो का नुकसान हुआ और यह भी पाया गया था कि इस घोटाले में पुलिस और सरकारी अधिकारी भी लिप्त थे।
राष्ट्र को हानि: 20,000 करोड़ रुपये (स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस)
आरोपी का नाम: अब्दुल करीम तेलगी
स्कॉर्पियन पनडुब्बी सौदा घोटाला भी देश का एक सबसे बड़ा रिश्वत कांड था। जिसका सामना देश और नौसेना दोनों को करना पड़ा था। आरोप था कि 11000 करोड़ की राशि थेल्स के स्कॉर्पियन पनडुब्बी के निर्माताओं द्वारा सरकार प्रशासकों के लिए रिश्वत के रूप में दिया गया था। इसके अलावा, नौसेना के गोपनीय दस्तावेज स्कॉर्पियन के निर्माताओं को बेचे गए थे। भारत सरकार ने फ्रांसीसी कंपनी के साथ 6 पनडुब्बियों के लिए 19,000 करोड़ रुपए का एक सौदा किया था।
लागत: 18,978 करोड़ रुपये
आरोपी का नाम: रवि शंकरन, अभिषेक वर्मा
हवाला घोटाला एक भारतीय राष्ट्रीय घोटाला था, जिसमें राष्ट्रिय खजाने की लूट की गई थी। यह कथित तौर पर चार हवाला दलालों, जैन भाइयों के माध्यम से शीर्ष नेताओं द्वारा भुगतान भेजना शामिल किया गया था। वे दुनिया भर में आतंकवाद को फण्ड देते थे। एक गिरफ्तारी में कश्मीर के आतंकवादियों के साथ हवाला दलालों का कनेक्शन पाया गया, तब छापे की कारवाही हुई। जिसमें राजनेताओं को भी दोषी पाया गया, लेकिन किसी भी पुख्ता सबूत के अभाव के कारण उन्हें दंडित नहीं किया जा सका।
राष्ट्र को नुकसान: 18 मिलियन डॉलर
आरोपी का नाम: एल. के. आडवाणी, वी. सी. शुक्ला, पी. शिव शंकर, शरद यादव, बलराम जाखड़, मदन लाल खुराना, अर्जुन सिंह, यशवंत सिन्हा, कल्पनाथ राय, माधवराव सिंधिया, बूटा सिंह, नटवर सिंह
एंट्रिक्स देवास सौदा एक ऐसा विवादास्पद घोटाला था। जो कि एंट्रिक्स कॉरपोरेशन और देवास मल्टीमीडिया प्राइवेट लिमिटेड के बीच 28 जनवरी, 2005 में साइन हुआ था। इस घोटाले में पूर्व इसरो अध्यक्ष और तीन अन्य वैज्ञानिकों के नाम सामने आये थे। इस समझौते के अनुसार, एंट्रिक्स प्रसारण के लिए देवास को एस-बैंड तरंगदैर्ध्य के 70 मेगाहर्ट्ज प्रदान किया था, जिसमें इसरो दो उपग्रहों (जीसैट -6 और जीसैट 6A) में एस-बैंड ट्रांसपोंडर लीज पर होगा। सीएजी की रिपोर्ट ने इस मामले को उजागर करते हुए कहा कि डिपार्टमेंट ऑफ़ स्पेस (डीओएस) विभाग द्वारा नियमो और नीतियों का उल्लंघन कर इस समझौते को मंजूर किया था।
नुकसान: 200,000 करोड़ रुपये (सीएजी द्वारा अनुमानित)
आरोपी के नाम: इसरो अध्यक्ष जी. माधवन नायर
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दुनिया में अगर कोई व्यक्ति ऐसा कहे कि वह लड़कियों को बहुत अच्छे से समझता है।
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