म्यूजियम एक ऐसा स्थान है जहां पुरानी, मूल्यवान और अनोखी चीजों को एकत्रित कर रखा जाता है।
म्यूजियम एक ऐसा स्थान है जहां पुरानी, मूल्यवान और अनोखी चीजों को एकत्रित कर रखा जाता है। यहाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐतिहासिक यादों को संजो कर रखा जाता है। जो कई प्रकार के सन्देश देती है। इसमें पुराणी किताबे, पेंटिंग, आभूषण, अस्त्र-शस्त्र आदि रखे जाते है, लेकिन आपको बता दे कि एक अनोखा म्यूजियम भी है। जहाँ ये सब सामान नहीं बल्कि इंसानो के मोम के पुतले रखे जाते है।
इस म्यूजियम में दुनिया के उन लोगों के पुतले बनाये जाते है। जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में महान कार्य किये होते है। हम बात कर रहे है मेडम तुस्सॉड्स वैक्स म्यूजियम की। इस म्यूजियम का अपना अलग क्रेज है, यहाँ पर जिस भी व्यक्ति का पुतला लगता है, उसे ग्लोबल निशानी माना जाता है।
मेडम तुस्सॉड्स वैक्स म्यूजियम में लगे महान हस्तियों के पुतले हुबहु इंसान की तरफ ही दिखाई देते है। इन पुतलों को देखकर ऐसा लगता है कि बस ये पुतला अभी बोल ही पड़ेगा। अगर वास्तविक व्यक्ति और और उनके मोम के बने पुतले को एकसाथ देखा जाये तो आप भी धोखा खा जायेंगे कि इसमें असली कौन है। यही इस म्यूजियम की विशेषता है। सुना जा रहा है कि इसकी एक ब्रांच अब नई दिल्ली में भी खोली जाएगी।
इस म्यूजियम की स्थापना 1835 में हुई। यह अपनी विशेष कला और तकनीक के लिए पुरे विश्व में जाना जाता है। इसका इतिहास काफी मजेदार है। मैडम मेरी तुसाद ने वर्ष 1835 को मैडम तुसाद म्यूजियम की नीव रखी थी। उन्होंने लन्दन के बेकर स्ट्रीट बाजार में खुद की बनाई मोम की आकृतियों की एक प्रदर्शनी लगाई थी। आगे चलकर यह प्रदर्शनी एक म्यूजियम में परिवर्तित हो गयी।
स्विटजरलैंड के डॉक्टर फिलिफ कर्टियस से मैडम मेरी ने मोम के पुतले बनाने की कला सीखी थी। दरअसल, डॉक्टर फिलिफ कर्टियस मोम के अंगो का उपयोग चिकित्सा जगत में इस्तेमाल करने के लिए करते थे। मैडम मेरी तुसाद की मोम डॉक्टर फिलिफ कर्टियस के यहाँ काम करती थी। सन 1761 में फ्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर में जन्मी मैडम मेरी तुसाद ने यही से मोम का पुतला बनाना सीखा था।
वर्ष 1777 में पहली बार मैडम मेरी ने महान विचारक वाल्टेयर के मोम का पुतला बनाया था। इसके अलावा उन्होंने मशहूर ज्या जेक्स, रूसो और बेंजामिन फ्रेंकलिन (5.3-3) के मोम के पुतले भी बनाये थे। यह सब साल 1879 की क्रांति से पहले उन्होंने बनाये थे।
1789 में हुए फ्रांसीसी क्रान्ति में मैडम मेरी को भी जेल जाना पड़ा था, क्योंकि उन्हें शाही परिवार का हम दर्द माना जाता था। जेल में उन्हें नेपोलियन बोनापार्ट की पत्नी के साथ कमरा शेयर करना पड़ता था। फिर सन1794 में वह जेल से बहार आयी, लेकिन वह लन्दन में ही फांसी रह गयी। इसके बाद ही उन्होंने वहीं पर फ्रांसीसी क्रान्ति से जुड़े लोगों की ही मोम की मुर्तिया बनाई। इन मोम के पुतलों से ही Madame Tussauds Wax Museum की नींव रखी गई।
लन्दन में स्थित मेडम तुस्सॉड्स वैक्स म्यूजियम में अब तक 400 से ज्यादा मोम की मूर्तियां है। कई देशों में इसकी शाखाएं भी है आपको बता दे कि यहाँ पुतले बनाने के लिए छोटी से छोटी चीजों का ध्यान रखा जाता है। यहाँ पर म्यूजियम की टीम किसी हस्ती का पुतला बनाने के लिए पहले उसके पॉपुलैरिटी का पता लगाती है।
इस मूर्तियों को बनाने के लिए करीब 150किलोग्राम मिटटी का उपयोग साँचा के लिए किया जाता है। इसके बाद यहाँ के जाने माने कारीगर उस व्यक्ति के हजारो माप लेते है, जिनकी मूर्ति बनानी होती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मूर्ति की आँखे बनाने में करीब 10 घंटे का समय लगता है। इस दौरान उनकी पुतलियों तक को मैच किया जाता है। उस व्यक्ति की हेयर स्टाइल को मैच करने और एक-एक बाल को लगाने में 6 हफ्ते का वक्त लगता है।
एक व्यक्ति के पुतले को पूरी तरह तैयार करने में करीब 4 महीने का वक्त लग जाता है। इन्हें बनाने में लगभग 20 रंगो का प्रयोग किया जाता है, ताकि पुतलों की त्वचा का रंग रियल और हस्ती में मिलता जुलता लगे। इसके अलावा चेहरे की हर सिलवट, हर तिल, हर पिम्पल, झुर्री को ज्यो का त्यों उतारा जाता है, तब जाकर मोम की जीवंत मूर्तियां बन पाती है।
मैडम तुसाद म्यूजियम की शोभा बढ़ाने में भारतीय हस्तियां भी पीछे नहीं है। यहाँ सबसे पहले राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी का मोम का पुतला लगा था। इसके बाद इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सचिन तेंदुलकर के मोम के पुतले लगाए गए। फिर फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन, रजनीकान्त, ऐश्वर्या राय, शाहरुख खान, ऋतिक रोशन, करीना कपूर, माधुरी दीक्षित आदि के मोम के पुतलों ने इस म्यूजियम की शोभा बढ़ाई।
बॉलीवुड सितारों के अलावा देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मोम के पुतले को भी मैडम तुसाद में जगह दी गयी है। ख़ास बात यह है कि दुनिया के शक्तिशाली वर्ल्ड लीडर्स डेविड कैमेरून और बराक ओबामा आदि के बीच प्रधनमंत्री मोदी की मोम की प्रतिमा स्थापित की गयी है। भारत से नौ बॉलीवुड हस्तियों समेत अब तक करीब 15 लोगों के पुतले वहां लगे है।
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