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आदिवासियों के बीच ईसाई धर्म का प्रचार करने गए अमरीकी टूरिस्ट की रहस्यमय हत्या

भारत का केंद्र शासित प्रदेश “अंडमान निकोबार” द्

5 years ago
आदिवासियों के बीच ईसाई धर्म का प्रचार करने गए अमरीकी टूरिस्ट की रहस्यमय हत्या

भारत का केंद्र शासित प्रदेश “अंडमान निकोबार” द्वीप समूह हिन्द महासागर में स्थित है। अंडमान निकोबार दो द्वीप समूह से मिलकर बना हुआ है। यह द्वीप समूह अंडमान सागर और हिन्द महासागर में स्थित है, इस सागर के उत्तर में अंडमान और दक्षिण में निकोबार स्थित है। यह पूरा द्वीप 572 छोटे बड़े द्वीपों से मिलकर बना हुआ है। इस द्वीप पर कुछ ही जगह पर लोग रहते है। अंडमान में एक सेंटिनल द्वीप है जहाँ जारवा नामक आदिवासी निवास करते है। यह द्वीप अंडमान निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर से 102 किमी दूर है। इस द्वीप पर जाने की इजाज़त नहीं है। 

यहाँ पर अमेरिकन नागरिक जॉन एलिन चाऊ ने कुछ मछुआरों की मदद से प्रवेश कर लिया था। चाऊ ईसाई धर्म के प्रचारक थे। उन्होने 6 बार पोर्ट ब्लेयर की यात्रा भी की थी। यहाँ चाऊ उन आदिवासियों से मिलकर उन्हें ईसाई धर्म में शामिल करने के उद्देश्य से गए थे। चाऊ ने मछुआरों की मदद से 2 बार इस प्रतिबंधित द्वीप में घुसने की कोशिश की थी। 14 नवम्बर को उनकी नाकाम कोशिश के बाद वे फिर 16 नवम्बर को पूरी तैयारी के साथ सेंटिनल द्वीप पहुंचे थे। उन्होंने उन आदिवासियों से मित्रता करने का प्रयास भी किया था। 

अंडमान निकोबार के डीजीपी दीपेंद्र पाठक के अनुसार चाऊ ने उन मछुआरों को 25 हजार रुपये दिए थे। मछुआरों की मदद से चाऊ 15 नवम्बर की रात को एक छोटी नाव की मदद से सेंटिनल द्वीप की पश्चिमी सीमा तक पहुंचे वहाँ से उन्हें आगे का सफर अकेले तय किया था। चाऊ ने जाने से पहले 13 पन्नों का एक नोट मछुआरों को दिया था जिसे पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया है। उस नोट में चाऊ ने लिखा की में इन्हे जीजस के बारे में बताने आया हूँ। अगर मैं मर गया तो वहां के आदिवासियों और ईश्वर पर ग़ुस्सा मत करना। 17 नवम्बर को किनारे के पास लोटकर आये मछुआरों ने बताया की आदिवासी लाश के पास धार्मिक अनुष्ठान करते हुए पाए गए थे जो संभवतः चाऊ की लाश हो सकती है। हवाई मदद के बाद भी शव को ढूंढा नहीं जा सका। 

इंस्टाग्राम के माध्यम से चाऊ के परिवार ने भारत सरकार से मदद करने वालो को सजा न देने की गुहार लगायी 

इंस्टाग्राम की पोस्ट के अनुसार चाऊ के परिवार वालो ने कहा चाऊ स्वयं अपनी मर्जी से वहाँ गया था। भारत सरकार से अनुरोध है कि वो प्रतिबंधित इलाके तक चाऊ को पहुंचाने वाले मछुआरों को सजा न दें, उन्होंने चाऊ की मौत के लिए जिम्मेदार लोगो को क्षमा कर दिया है।

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