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आज सरदार वल्ल्भ भाई पटेल की जयंती पर भारत सरकार द्वारा श्रद्धांजलि के रूप में दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” का लोकार्पण किया गया है । इस प्रतिमा का लोकार्पण माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा किया गया है। इस प्रतिमा का नाम “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” के नाम पर रखा गया है। यह प्रतिमा अमेरिका में स्थित “स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी” से दोगुनी बड़ी है और अब यह प्रतिमा दुनिया की सबसे बड़ी प्रतिमा है।
नडियाद (गुजरात) में जन्मे सरदार वल्ल्भ भाई पटेल एक कृषक परिवार से थे। उन्होंने लन्दन से बैरिस्टर की पढ़ाई की और फिर भारत आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। गाँधी जी से प्रेरित होकर उन्होंने स्वाधीनता आंदोलन में हिस्सा लिया।
इनका सबसे पहला आंदोलन “खेड़ा संघर्ष” था। जिसमे उन्होंने गुजरात के खेड़ा खंड जो उस समय सूखे की चपेट में था और अंग्रेजो ने वहाँ कर में भारी वृद्धि कर दी थी जिसे कम करने के लिए उन्होंने आंदोलन किया था। इस आंदोलन में उन्हें सफलता मिली, यह उनकी पहली सफलता थी। फिर उन्होंने “बारडोली सत्याग्रह” किया जो एक किसान आंदोलन था, इसमें भी वे सफल हुए थे। इस सफलता के कारण वहाँ कि महिलाओं ने उन्हें “सरदार” की उपाधि दी।
आज़ादी के पहले जब भारत की सब रियासतें अलग अलग अपने राज्य को आज़ाद करवा कर अपना अपना स्वतंत्र देश बनाना चाहते थे तब “सरदार वल्लभ भाई पटेल” ने “पी वी मेनन” के साथ मिलकर सभी राजाओं को समझाया और एक साथ एक देश बनाने के लिए राजी किया। इसके फलस्वरूप 3 राज्य जम्मू कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद को छोड़कर सभी राज्य एक देश बनाने को तैयार हो गए। सरदार वल्ल्भ भाई पटेल ने सभी राज्यों को एक साथ करके एक देश बनाकर एकता की मिसाल पेश की थी। यही कारण है कि इस प्रतिमा का नाम “स्टैच्यू ऑफ यूनिटी” रखा गया। इसलिए यह प्रतिमा भारत के भारत के लिए बहुत खास है।
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