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'मिट्टी घोटाले' पर लालू - हम तो खुद अपनी गायों का गोबर मुफ्त में दे रहे हैं

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद का अंदाज हमेशा से ही खा

7 years ago
'मिट्टी घोटाले' पर लालू - हम तो खुद अपनी गायों का गोबर मुफ्त में दे रहे हैं

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद का अंदाज हमेशा से ही खास रहा है। चाहे उन्हें किसी मुद्दों पर भाषण देना हो या फिर विरोधियों का जवाब देना हो, उनका अंदाज ही अलग है। हाल ही में लालू ने मंगलवार को बिहार के चर्चित मिट्टी घोटाले को लेकर भी विरोधियों को बेहद ही दिलचस्प तरीके से जवाब दिया है। 

सुशील मोदी ने लगाया लालू पर आरोप

Source = Indianexpress

आपको बता दे की बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने लालू प्रसाद पर एक मॉल की मिट्टी को गैरकानूनी ढंग से और बगैर टेंडर के जू को बेचने का आरोप लगाया है। सुशील मोदी के अनुसार जिस निर्माणाधीन शॉपिंग मॉल का संबंध लालू प्रसाद के परिवार से है। उस माल के दो अंडर ग्राउंड फ्लोर की मिट्टी को संजय गांधी जैविक उद्यान को 90 लाख में बेच दिया गया है।

सुशील ने यह दावा किया है की लालू यादव को मिट्टी को खपाना था इसलिए पटना चिड़ियाघर ने बिना टेंडर के ये काम वीरेंदर यादव को दिया, जो लालू यादव के करीबी रहे हैं।

सब बाते है बेबुनयादी - लालू

लालू ने अपने और परिवार पर लगे इन आरोपों को बेबुनियाद बताया। लालू ने कहा कि तथ्य-तथ्य हैं। पटना के जू में क्या काम चल रहा है वहां के निदेशक से पूंछ के आये। और मैं तो खुद पटना के चिड़ियाघर को पिछले डेढ़ साल से मुफ्त में गोबर दे रहा हूं।

लालू ने यह भी कहा कि बेबुनियाद तथ्यों पर बोलना हमें नहीं आता, चिड़ियाघर में जाकर जांच कर लीजिए। यदि हमको पैसा मिला होगा तो रिकार्ड में होगा और हम हर तरह की जांच के लिये तैयार हैं। यदि इस मामले में जांच की भी जाती तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।

वन विभाग के पास कोई ठोस जवाब नहीं

इन सारी बातो को लेकर वन विभाग का कहना है कि चिड़ियाघर में एक सड़क का निर्माण किया जा रहा है जिसकी लागत 95.75 लाख रुपये है। इसमें मिट्टी काटने और उसके परिवहन और अनलोडिंग के लिए 44.92 लाख रुपये का प्रावधान है। 

वन विभाग ने यह तो कह दिया की पिछले कई महीने से यह काम चल रहा था और अब पूरा हो चुका है। लेकिन इस बारे में विभाग कोई ठोस जवाब नहीं दे पाया है कि इस काम के लिए कोई निविदा क्यों नहीं निकाली गई थी।

पटना चिड़ियाघर के डिपार्टमेंट ने पुष्टि की है कि उन्होंने यह काम बिना किसी टेंडर के दिया, लेकिन उनका यह भी कहना है कि यह करने के लिए विभाग सक्षम है। खेर इस मामलो में यदि सुशील मोदी की मानें तो कई सवाल अभी भी खड़े हैं कि क्या कोई निदेशक 90 लाख का काम बिना टेंडर के कर सकता है।


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