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हरियाणा सरकार ने आईएएस ऑफिसर अशोक खेमका का ट्रां...
हरियाणा सरकार ने आईएएस ऑफिसर अशोक खेमका का ट्रांसफर कर दिया है। अशोक खेमका का यह ट्रांसफर 51वी बार हुआ है। इस बार अशोक खेमका का ट्रांसफर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिकता विभाग से हटाकर उन्हें खेल और युवा मामले विभाग का प्रिंसिपल सेकेट्ररी पद का कार्यभार संभालने को दिया है।
आईएएस ऑफिसर अशोक खेमका ने अपने ट्रांसफर की जानकारी ट्विटर पर लिख कर दी, उन्होंने लिखा
“कई योजनाएं हैं। फिर से तबादले की खबर है। एक बार फिर आपातकालीन लैंडिंग। निहित स्वार्थों की विजय। पुनर्मिलन। लेकिन ये अस्थायी है। नई ऊर्जा और उत्साह से आगे बढ़ता रहूंगा ”
So much work planned. News of another transfer. Crash landing again. Vested interests win. Déjà vu. But this is temporary.
— Ashok Khemka (@AshokKhemka_IAS) November 12, 2017
Will continue with renewed vigour and energy.
आईएएस ऑफिसर अशोक खेमका पहली बार कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी (4.1-6) के दामाद रॉबर्ट वाडरा और नई दिल्ली की रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच हुए सौदे को लेकर चर्चा में आये थे। जिसे 2012 में अशोक खेमका ने रद करवा दिया था।
इस समय अशोक खेमका हरियाणा में राजस्व विभाग में कार्यभार संभाल रहे थे। अशोक खेमका हमेशा अपनी ईमानदार छवि के कारण चर्चा में बने रहते है। अब से वे खेल और युवा मामले विभाग में खेल मंत्री अनिल विज के मातहत में काम करेंगे। इससे पहले अनिल विज कई मुद्दों पर अशोक खेमका के साथ खड़े दिखाई दिए है।
अशोक खेमका ने इस बार दिवाली के मौके पर हरियाणा मुख्यमंत्री कार्यालय में काम किया था। मुख्यमंत्री के निजी स्टाफ को हज़ार रुपए के दिए गए नगद गिफ्ट पर उन्होंने मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। अशोक खेमका ने इससे पहले शिक्षा मंत्री रामविलास शर्मा और लोक निर्माण मंत्री राव नरबीर सिंह को भी आड़े हाथ ले चुके हैं।
आईएएस ऑफिसर अशोक खेमका ने हरियाणा में मौजूद गड़बड़ियों और अनियमितताओं को उजाकर करने के चलते भारतीय जनता पार्टी के 3 मंत्रियों से उनका टकराव हो चूका है।
इसके अलावा हाल ही में सरकारी गाडी के दुरुपयोग के मामले में उन्होंने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के मंत्री कृष्ण कुमार बेदी को बहुत कुछ सुनाया था। अशोक खेमका इसी विभाग के प्रधान सचिव थे। उन्होंने इस पद पर रहते हुए 3,22,000 लोगों की पेंशन बंद कर दी थी। पेंशन बंद होने का कारण हालांकि दस्तावेजों में कमी पाया गया था, लेकिन इस वजह से सरकार को जवाब देना भारी हो गया था। बाद में जांच के दौरान दो लाख 21 हजार लोगों की पेंशन चालू भी हो गई थी। लेकिन 1 लाख लोगों की पेंशन आज भी बंद है।
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