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14 जनवरी की रात से ग़ायब हिंदूवादी नेता प्रवीण तोग...
14 जनवरी की रात से ग़ायब हिंदूवादी नेता प्रवीण तोगड़िया आज बेहोशी को हालत में मिले, उन्हें 108 नंबर वाले एक एम्बुलेंस से अहमदाबाद के चंद्रमणि अस्पताल लाया गया जहाँ जांच के बाद पता चला की तोगड़िया जी का शुगर लेवल काफी नीचे आ गया है। फिलहाल डॉक्टरों ने बताया की उनकी हालत स्थिर है।
#WATCH Ahmedabad: VHP leader #PravinTogadia broke down while addressing media earlier today, said 'attempts being made to muzzle my voice' pic.twitter.com/xTu2RikaOv
— ANI (@ANI) January 16, 2018
बहरहाल प्रवीण तोगड़िया एक फायरब्रांड हिंदूवादी नेता के तौर पर जाने जाते हैं। एक वक़्त पर तोगड़िया गुजरात की बड़ी ताक़त हुआ करते थे और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के साथ भी इनकी अच्छी जमती थी पर पिछले कुछ सालों से उनके रुतबे में गिरावट आई है।
प्रवीण तोगड़िया का जन्म 12 दिसम्बर 1956 को गुजरात के एक जिले अमरेली के साजन टिम्बा गांव में हुआ था। जब उनकी उम्र 10 साल की हुई तब वे अहमदाबाद आ गए और तभी से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। तोगड़िया किसान परिवार में जन्मे थे, उन्होंने बचपन से ही संघ की शाखाओं में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी थी।
साल 1971 में जब तोगड़िया 16 साल के थे तभी वे आरएसएस के पूर्णकालिक स्वयंसेवक बन गए। तोगड़िया ने मेडिकल की पढ़ाई की और MBBS करने के बाद उन्होंने MS की भी पढ़ाई पूरी की। साल 1983 में 27 साल के तोगड़िया विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़ गए। राम मंदिर आंदोलन में उनकी सहभागिता को देखते हुए ही उन्हें विश्व हिन्दू परिषद् का महासचिव बना दिया गया। अशोक सिंघल के देहांत के बाद तोगड़िया विश्व हिन्दू परिषद् के अध्यक्ष बनाये गए। इस संगठन के भारत समेत पुरे विश्व में करीब 20 लाख सदस्य हैं।
एक ऐसा वक्त भी था जब प्रधानमंत्री मोदी और प्रवीण तोगड़िया (6.1-5) बड़े गहरे मित्र हुआ करते थे। दोनों एक ही स्कूटर पर बैठ कर आरएसएस के कार्यकर्ताओं से मिलने आया जाया करते थे। एक ही विचारधारा के इन दोनों व्यक्तित्वों ने काफी समय तक साथ साथ संघ के लिए कार्य किया परन्तु साल 2002 में नरेंद्र मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही दोनों के संबंधों में कड़वाहट दिखने लग गई।
यह कड़वाहट तब और ज्यादा बढ़ गई जब गुजरात की तत्कालीन मोदी सरकार ने गांधीनगर में 200 मंदिरों को गिरवा दिया और मोहम्मद अली जिन्ना के समर्थन में लाल कृष्ण आडवाणी के दिए बयान के बाद प्रदर्शन कर रहे वीएचपी के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया। यही वो वक़्त था जब तोगड़िया ने मोदी का बिलकुल खुले तौर पर विरोध शुरू कर दिया था। तोगड़िया ने साल 2011 में मुसलमानों के लिए मोदी जी द्वारा किये गए 'सद्भावना' संदेश का भी बहुत मजाक उड़ाया और इस मुद्दे पर कहा कि मोदी ने अपनी छवि बदलने के लिए 'हिंदुत्व' वाली छवि का त्याग कर दिया है।
इन्ही सब कारणों से जब मकर संक्रांति के दिन तोगड़िया लापता हुए तो विश्व हिन्दू परिषद् के कुछ नेताओं ने इसे तोगड़िया के खिलाफ किसी साज़िश से जोड़ा। कई मीडिया हाउसों के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरएसएस और भाजपा दोनों ही ये चाहते थे कि वीएचपी तोगड़िया को मुक्त कर दे, ताकि वे संघ के बैनर तले नए कार्यक्रम शुरू कर सकें। तोगड़िया ने अपनी प्रतिक्रिया स्वरूप इसका कड़ा विरोध किया था जिसके प्रतिफलस्वरूप उनके खिलाफ चल रहे पुराने मामलों की कार्रवाई में तेजी लायी गई। इन्ही सबको लेकर ही तोगड़िया पिछले कुछ वक्त से तनाव में भी चल रहे थे।
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