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Triple Talaq Bill Passed - मुस्लिम महिलाएं खुश, मोदी को शुक्रिया कहा, पुरुषों में नाराजगी

28 दिसंबर 2017 गुरुवार के दिन तीन तलाक को जुर्म और सजा...

6 years ago
Triple Talaq Bill Passed - मुस्लिम महिलाएं खुश, मोदी को शुक्रिया कहा, पुरुषों में नाराजगी

28 दिसंबर 2017 गुरुवार के दिन तीन तलाक को जुर्म और सजा मुकर्रर करने के संबंध में लोकसभा में इस मुद्दे पर 6 घन्टे चली बहस के बाद यह बिल आखिर पास हो गया। इस बिल का नाम ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' है। इस बिल को बिना किसी संशोधन के तहत पास किया गया है। अब तीन तलाक को दंडनीय अपराध मन जायेगा।

लोकसभा में इस बिल के पास होने के बाद यह बिल राज्यसभा से पास होने और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी मिलने पर एक कानून की शक्ल अख्तियार कर लेगा। आइये जानते है जब यह कानून बन जायेगा तो इसका असर क्या होगा।    

क्या बदलेगा?

तीन तलाक कानून का बिल पास होने के बाद अगर कोई शौहर अपनी बेगम को एक समय में तीन बार तलाक देता है। तो उसकी पत्नी अपनी इस समस्या को लेकर कानून के पास जाकर अपने लिए न्याय की मांग कर सकती है। इस बिल के तहत मुस्लिम महिलाओं को क़ानूनी ताकत मिलेगी। इतना ही नहीं पीड़ित महिलाओं को अपने साथ हुए इस अन्याय से लड़ने में मदद करेगा और अपने हक़ को हासिल करने में मददगार साबित होगा। इस बिल के बाद से तीन तलाक देना एक जुर्म माना गया है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक भारत देश में 8.4 करोड़ मुस्लिम महिलाओं को इन सब का लाभ मिलेगा।  


विधेयक में प्रावधान

जो भी इंसान अपनी पत्नी को तलाक देता है। उस शख्स को एक से तीन साल की सजा या फिर उसको जुर्माना देना होगा। इसके लिए उस शख्स कि पत्नी को कोर्ट में साबित करना होगा कि उनके पति ने एक समय में तीन  बार तलाक दिया है। जिस किसी भी महिला को तीन बार तलाक मिलता है। तो  पत्नी के साथ ही बच्चों के जीवन यापन के लिए गुजारा भत्ता भी मिलेगा। इसके साथ ही पत्नी नाबालिग बच्चों की अभिरक्षा की भी हकदार होगी। 


विधेयक पर सवाल और आपत्तियां


  1. पति जेल में होगा तो पत्नी और बच्चों का खर्च कौन देगा?
  2. जब तीन तलाक अवैध है तो सजा क्यों और कैसी?
  3. किसी तीसरे की शिकायत पर केस कैसे?
  4. शरीयत के खिलाफ है तीन तलाक बिल?

आकड़ों से समझे समस्या

22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक के इस मुद्दे को अवैध करार दिया था। इसके बाद ऐसा कहा जा रहा था कि तीन तलाक पर रोक लगेगी मगर ऐसा नहीं हो सका। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 100 मामले कोर्ट के सामने आए। जिनमें से अधिकतर मामले उत्तरप्रदेश में देखने को मिले। इस मुद्दे को मुस्लिम समाज में देखा जाए तो 4 तलाकशुदा महिला की तुलना में सिर्फ एक ही पुरुष तलाकशुदा होता है।  

  1. 2001 से 2011 के बीच मुस्लिम महिलाओं को तलाक देने में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 
  2. 49 फीसदी मुस्लिम लड़कियों की शादी 14 से 29 साल के बीच हो जाती है। 
  3. 13.5 फीसदी मुस्लिम लड़कियों की शादी 15 वर्ष से पहले हो जाती है।

देशभर में तीन तलाक का मुद्दा काफी दिनों से चला रहा है। यह मुद्दा 22 अगस्त 2017 से शुरू हुआ था। इस बिल का लोकसभा में पास होने से देशभर के सभी मुस्लिम महिलाओं के चेहरे पर ख़ुशी देखने को मिल रही है। इस ख़ुशी के साथ ही मुस्लिम समाज के पुरुषों समेत उलेमा मौलाना और इमामों में इस फैसले को लेकर उनके काफी नाराजगी भी जताई है।

उत्तरप्रदेश के देवबंद और मुजफ्फरनगर में रहने वाली मुस्लिम महिलाओं ने ट्रिपल तलाक़ का बिल लोकसभा में पास होने से अपनी ख़ुशी जाहिर की है। उत्तरप्रदेश के देवबंद में 5 माह पहले एक घटना घटी थी। यह घटना देवबंद में मुस्लिम समाज की एक महिला की है। इस महिला का नाम नजमा है इनके शौहर दुबई में रहते है। इनके शौहर ने दुबई से ही ढाई साल के अंदर मैसेंजर में अपनी बेगम को तलाक़ दिया था। अपने शौहर से तलाक़ मिलने पर नजमा ने अपने हक़ की लड़ाई के लिए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर अपने लिए इंसाफ की मांग की थी।

ट्रिपल तलाक़ बिल लोकसभा में पास होने के बाद उत्तरप्रदेश के देवबंद में रहने वाली नजमा को बहुत ख़ुशी हुई है। नजमा को यह उम्मीद है कि उनके शौहर को उसके साथ किए गए इस अपराध की  सजा जरूर मिलेगी। जब से यह बिल पास हुआ है उत्तर प्रदेश के देवबंद और मुजफ्फरनगर के मुस्लिम समुदाय के पुरुषों ने इस बिल की सीधे सीधे मुखालफत की है। मुफ्ती इलाही ने तो इसे मुसलमानों के मजहब और शरीयत में सरकार का सीधा सीधा दखल करार दिया है। 

ज़ायद हसन का कहना है कि मुसलमानों में निकाह और तलाक के लिए शरीयत का कानून बनाया गया है जो सबसे बड़ा है, ऐसे में सरकार को उनके मजहब में दखल नहीं देना चाहिए।

तीन तलाक से पीड़ित सभी महिलाएं तमाम मुफ्ती और मौलानाओं के खिलाफ बगावत करते हुए इनसे सवाल कर रही है कि जब भी किसी महिला का निकाह समाज, रिश्तेदारों और वहां पर मौजूद सभी लोगों के सामने होता है। तो तलाक के समय यह सब लोग कहा चले जाते है और इस समय मौलाना और मौलवी इन सभी पीड़ित महिलाओं का अधिकार दिलाने के लिए उनके सामने क्यों नहीं आते है। 

मुस्लिम समाज के कई युवाओं का कहना है कि लोकसभा के इस बिल के कारण तलाक देने वाले को जेल का नियम आने वाले समय में गलत इस्तेमाल हो सकता है। वहीं दूसरी ओर मुस्लिम महिलाओं का ऐसा मानना है कि इस डर की वजह से महिलाओं को अब रुसवा नहीं होना पड़ेगा।

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