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हाल ही में राधे मां ने ‘अ डायलॉग विद जेसी शो’ में
हाल ही में राधे मां ने ‘अ डायलॉग विद जेसी शो’ में शिरकत की। जहाँ पर उन्होंने रीजनल चैनल्स के सीईओ जगदीश चंद्र के धारदार सवालों का कुछ इस प्रकार जवाब दिया।
राधे मां ने बताया कि मां की मौत के पश्चात् उनका ध्यान ग्रंथों में चला गया और वह गुरुवाणी सुनती रहती थी। जिसके चलते इसी सब में मेरी लगन लग गई।
आगे उन्होंने कहा कि कम उम्र में शादी और पति का अकेले छोड़कर चला जाना ये सब चीजें उनके लिए प्रेरक साबित हुईं। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही मीडिया उनके विषय में जो भी दिखाए वो परवाह नहीं करतीं। मुझे मेरा मकसद पता है कि वह क्या है?
इसके बाद उन्होंने बताया कि मुझे मेरे पापा 21 साल की उम्र में बाबा रामदीन दास के पास ले गए। जहाँ पर उन्होंने मुझे देखकर कहा कि ये चंडी है। इस मुकाम पर पहुंचने के श्रेय उन्होंने अपने गुरु को दिया।
उन्होंने कहा कि मैं मां की मूर्ति के आगे दरवाजा बंद करके खूब नाचती थी, इसे कुछ लोगों ने देखा और इस तरह ही धीरे-धीरे मेरे फॉलोवर बनते गए। यह भी बताया कि उन्होंने 27 साल पहले ही गृहस्थ जीवन का त्याग कर दिया था। अब मेरी जिंदगी खुली किताब है।
उन्होंने कहा कि उनकी कोई बदनाम गुफा नहीं है। साथ ही वो स्वयं को धर्म गुरु नहीं मानती। वह कहती है कि वे इंसानियत को मानती हैं। उन्हें मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा सब जगह अच्छा लगता है। पीएम मोदी की तरफ करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी जी अच्छा कार्य कर रहे है।
उन्होंने कहा कि यदि धार्मिक लोग सुरक्षा की चिंता करेंगे तो लानत है। उन्होंने बोला कि उनके साथ भी कई बार सेक्सुअल हैरासमेंट हुआ है। वे 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान से भी जुड़ी हुई हैं।
राधे मां बताती है कि जहां भी जाती हैं लोग उनकी गुफा बना देते हैं और वहां पर राधे मां (4.1-4) की चौकी लगा देते हैं। उन्होंने कहा कि लोग उन्हें गुड़ियों जैसा बताते हैं, वे गुड़ियों से खेलती हैं और गुड़ियों के साथ ही सोती हैं।
उन्होंने कहा कि जब कोई उन्हें ज्ञान का प्रचार करने के लिए बुलाएगा तो वे जाएंगी। वे त्रिशूल को धर्म का प्रतीक मानकर अपने पास रखती हैं और रक्षा कवच के रूप में त्रिशूल देती है।
यह भी कहा कि उन्हें बाबा नानक जी ने भेजा है। उन्होंने कहा
"मैं जरुरतमंदों की सहायता करती हूं। प्रतिदिन चार घंटे मेडिटेशन करती हूं और भक्तों को भी इसकी सलाह देती हूँ। वे स्वयं को लेखक भी बताती हैं और लाल रंग से प्रेम को शौक भी बताती हैं।"
धर्म के तरफ कैसे रूख हुआ?
आदमी दुख में धर्म की ओर मुड़ता है। मेरी मां से मुझे बहुत प्यार था और जब मेरी मां नहीं रही, तब मेरा ग्रंथों में ध्यान चला गया। छोटी उम्र में ही मेरी शादी हो गई, मेरा पति मुझे छोड़कर परदेश चला गया तो मैं गुरुवाणी सुनती थी और सुनते-सुनते मुझे लगन लग गई।
राधे मां नाम आपने रखा या भक्तों ने दिया?
मेरे पापा को ऐसा लगता था कि मेरे पति के जाने के पश्चात में मैड हो गई हूं। आपको बता दू कि भक्तों को लोग मैड ही समझते हैं। मुझे 21 साल की उम्र में मेरे पापा रामादीनदास बाबा के पास ले गए। मुझे देखते ही उन्होंने कहा की ये चंडी है, इसमें एनर्जी है इसको चैनालाइज़ करो।
उन्होंने मुझे कहा जय-जय मां, जय-जय मां। हर इंसान ने मुझे मारने का प्रयास किया परन्तु मैं लड़ी और मैं वहां से यहां आ गई, इसका पूरा श्रेय मैं अपने गुरू को दूंगी माता रानी को दुंगी।
मुम्बई कब आना हुआ?
मैं14 साल पहले मुम्बई आई। कोई मुझे माता रानी की मूर्ति दे गया तब मैंने मां से प्यार करना प्रारंभ किया। मै दरवाजा बंद करके खूब नाचती थी, तो बस मेरे फॉलोवर बन गए।
ये त्रिशूल क्यों रखते हैं?
ये धर्म का प्रतीक है। मैं स्प्रिचुअल हूं, पॉलिटिकल नहीं हूं।
आपको गुड्डिया देवी मां क्यों कहते हैं?
भक्त मुझे कहते हैं आप गुड्डिया जैसी हो, मैं गुड्डिया से खेलती हूं मैं जब सोती हूं तो गुड्डिया रखती हूं।
दिल्ली में क्या था उसके गोद में बैठ गई?
उसमें उसका भी कोई दोष नहीं था, मेरा भी कोई दोष नहीं था।
सरकार का कैंपेन है 'बेटी बचाओ - बेटी पढ़ाओ'।
क्या आपका मन भी करता है समाज सेवा से जुड़ने का?
मैं जुड़ी हुई हूं।आप गूगल कर लिजिए।
आप अच्छी बातें करती हैं, आप अच्छी इंसान हैं तो आप पर कोर्ट केस क्यों चल रहा है?
सब दुनियां की लड़ाईयां मेरे सामने आ जाती हैं।
जब लड़कियां छोटी होती हैं तो सेक्सुअल हैरासमेंट की बात आती है। आपके जीवन में कभी कुछ ऐसा हुआ?
बहुत बार।
तो कैसे हैंडल किया?
भगवान का नाम लेकर।
नरेन्द्र मोदी कैसै पीएम हैं, आप क्या महसूस करती हैं?
शुरू-शुरू में उन्होंने बहुत अच्छा काम किया लेकिन आजकल लोग निगेटिव हो रहे हैं। मेरा दिल कहता है कि आने वाले टाईम में वो अपने विचार बदलेंगे और बदलने भी चाहिए।
राम रहीम के मामले में आपने कहा था कि मैं किसी बाबा की ग्यारंटी नहीं लेती मैं प्योर हूं?
मैं अपने भक्तों को समझाती हूं कि तुम साफ रहो।
लोग कहते हैं कि आप प्रसाद मुंह से टच करके देते हैं तो उसका जीवन सुधर जाता है ये बात कैसे चली?
जब मैं खाती हूं तो ये सब मेरे मुंह से खुद निकाल लेते हैं फिर बाद में मेरा नाम लगा देते हैं...अब इसमें मेरा क्या कसूर है।
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