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जीएसटी बिल पास - पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर देशवासियों को दी बधाई

देश में 'गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स' यानी 'जीएसटी'

7 years ago
जीएसटी बिल पास - पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर देशवासियों को दी बधाई

देश में 'गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स' यानी 'जीएसटी' को लागू करने के निर्णय में लोकसभा ने बुधवार के दिन वस्तु एवं सेवा कर से जुड़े चार विधेयकों को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय को लेकर सरकार ने आश्वासन दिया कि नई टैक्स प्रणाली में उपभोक्ताओं और राज्यों के हितों का पूरा ध्यान रखा गया है। इसके अलावा कृषि पर टैक्स नहीं लगाया गया है। उम्मीद लगायी जा रही है कि यह अप्रत्यक्ष कर प्रणाली एक जुलाई 2017 से लागू हो सकती है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताई

जीएसटी बिल पास होने की ख़ुशी में पीएम नरेंद्र मोदी ने जीएसटी से जुड़े अनुपूरक विधेयकों के लोकसभा में पारित होने पर प्रसन्नता दिखाई है। इसके पश्चात मोदी ने ट्विटर पर एक ट्वीट भी किया, जिसमें उन्होंने लिखा;

"जीएसटी विधेयक पारित होने पर सभी देशवासियों को बधाई. नया साल, नया विधेयक, नया भारत."

जीएसटी से जुड़े चार विधेयक ये हैं-


  • केंद्रीय माल एवं सेवा कर विधेयक 2017 (सी-जीएसटी बिल)
  • एकीकृत माल एवं सेवा कर बिल 2017 (आई जीएसटी बिल)
  • संघ राज्य क्षेत्र माल एवं सेवाकर विधेयक 2017 (यूटी जीएसटी बिल)
  • माल एवं सेवाकर (राज्यों को प्रतिकर) विधेयक 2017

धन विधेयक होने के कारण इन चारों विधेयकों पर अब राज्यसभा को केवल चर्चा करने का अधिकार होगा। धन विधेयक होने के कारण इन चारों विधेयकों पर अब राज्यसभा को केवल चर्चा करने का अधिकार होगा।


जेटली ने विपक्ष की इन आशंकाओं को बताया आधारहीन

Source = Thefearlessindian

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स से संबंधी विधेयकों पर चर्चा का जवाब दिया और विपक्ष की इन आशंकाओं को फिजुल भी बताया। उन्होंने कहा कि इन विधेयकों के जरिये कालाधन मामले में संसद के अधिकारों के साथ समझौता किया जा रहा है।

जेटली ने यह भी कहा कि पहली बात तो इसी संसद ने संविधान में संशोधन कर जीएसटी परिषद को टैक्स की दर की सिफारिश करने का अधिकार दिया है।

जीएसटी परिषद पहली संघीय निर्णय करने वाली संस्था

अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी परिषद पहली संघीय निर्णय करने वाली संस्था है। संविधान संशोधन के आधार पर जीएसटी परिषद को मॉडल कानून बनाने का अधिकार दिया गया।

जहां तक कानून बनाने की बात है तो यह संघीय ढांचे के आधार पर होगा, वहीं संसद और राज्य विधानसभाओं की सर्वोच्चता बनी रहेगी।

लेकिन इन सिफारिशों का ध्यान रखना जरुरी है, यदि ऐसा नहीं हुआ तो अलग अलग राज्य अगर अलग दर तय करेंगे और अराजक स्थिति खड़ी हो जाएगी। यह इसकी विशृंखल व्याख्या है औार इसका कोई दूसरा अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए।


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