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धार्मिक मामले सम्बेदनशील होते हैं, और जब मामला ध
धार्मिक मामले सम्बेदनशील होते हैं, और जब मामला धर्मपरिवर्तन का हो तो इस पर बड़ी हीं बारीकी से नज़र रखना पड़ता है। कई बार मामला ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन का होता है तो कई बार लालच दे कर धर्म परिवर्तन करवाए जाते है। पर बहुत मौक़ों पर लोग अपनी मर्ज़ी से किसी धर्म की तरफ आकर्षित हो कर या फिर अपने धर्म की कुरीतियों से परेशान हो कर भी धर्म परिवर्तन कर लिया करते हैं। और ऐसे लोगों को कई बार उनके पिछले धर्म से जुड़े कट्टरवादी संगठनों या फिर उनके परिवार वालों से हीं चुनौतियाँ मिलने लगती हैं।
पिछले दिनों उत्तराखंड हल्द्वानी के बनभूलपुरा की एक मुस्लिम धर्म की लड़की ने ऐसे हीं अपना धर्म परिवर्तन कर लिया। इसके लिए उस लड़की ने स्थानीय प्रशासन को कबूलनामा भी दिया की वो अपनी मर्ज़ी से मुस्लिम धर्म छोड़ रही हैं। मुस्लिम धर्म को छोड़ कर उस लड़की ने हिन्दू धर्म को अपना लिया है। लड़की द्वारा किये गए धर्म परिवर्तन से उसके परिजन नाराज़ हो गए और लड़की की जान पे बन आई है। लड़की ने प्रशासन से गुहार लगाई है की उसे उसके परिजनों से सुरक्षा प्रदान की जाए।
जैसा की सर्वविदित है मुस्लिम धर्म में महिलाओं को बुर्के में रहने के साथ कई तरह की पाबंदियों के साथ भी रहना पड़ता है, स्वतंत्र और खुलकर जीने की मनाही रहती है। इसी संकुचित मानसिकता के कारण देश के कई भागों में स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के मामले सामने आ रहे हैं। वर्तमान मामला भी कुछ इसी तरह का है। मज़हबी बंधनों से त्रस्त हो कर एक मुस्लिम युवती आखिरकार इस्लाम से हीं तौबा कर लेती है, और मंदिर में जा कर पूरे विधि विधान से हिन्दू धर्म की दीक्षा ग्रहण कर लेती है।
युवती ने इस मामले से जुड़ी जानकारियाँ स्थानीय प्रशासन को दिए गए अपने शपथ पत्र में दिया। शपथपत्र में उसने ये बात साफ़ साफ़ लिखा की वो अब शहनवाज़ की जगह सुनीता के नए नाम से दुनिया में पहचानी जाएंगी। सुनीता (परिवर्तित नाम) का अपने परिजनों पर ये आरोप है की वे काफी समय से उसे परेशान कर रहे थे, अलग अलग तरह की कई बंदिशें उनपर लाद दी गई थी।
पत्रकारों से बात करने के दौरान सुनीता अपनी दुख भरी कहानी सुनाई। उसके घर में हालात बहुत खराब हो गए थे, उनके परिजन उन्हें जहर दे कर मारने की कोशिश करने लगे थे। इस डर से सुनीता पिछले दिनों छुप कर रहने को भी मजबूर हो गई थी। सुनीता के मुताबिक़ वो परिजनों द्वारा खड़ी कर दी गई बंदिशों से परेशान हो चुकी थी। उसने आगे बताया की उसकी माँ की मृत्यु के बाद से हीं उसकी पढ़ाई लिखाई बंद करवा दी गई थी और प्रताड़ित किया जाने लगा था।
सुनता ने आगे बताया को वो एक दुकान में जॉब करती थीं, परन्तु उनके घरवालों को ये भी पसंद नहीं था और घरवाले ये जॉब छोड़ने का उस पर दवाब बनाते रहते थे। जॉब छुड़वा कर परिजन सुनीता की कहीं ज़बरदस्ती शादी भी करवाने के फ़िराक में थे। पर सुनीता हमेशा इस ज़बरदस्ती की शादी का विरोध करती रही। आने वाले फरवरी महीने में सुनीता की शादी की तारीख भी परिजनों ने फ़िक्स कर दी थी। इसी के बाद सुनीता को अपने हीं घरवालों के खिलाफ विरोध का रास्ता चुनना पड़ा।
सुनीता ने पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए मोदी सरकार की तारीफ़ की। मोदी सरकार द्वारा तीन तलाक़ पर विधेयक को सुनीता ने एक अच्छी शुरुआत बताया और इससे मुस्लिम महिलाओं को हो रही तमाम परेशानियों के बारे में भी बातें की। इस विधेयक के कानून बन जाने से मुस्लिम पुरुषों के द्वारा बिना किसी वजह के एकतरफ़ा तलाक़ दे देने की कुरीति को खत्म किया जा सकेगा।
पुलिस करेगी इस मामले की जांच
सिटी मजिस्ट्रेट ने इस मामले के बारे में बताते हुए कहा की युवती ने धर्म परिवर्तन से जुड़ा शपथ-पत्र दे दिया है अतः ये उस युवती का निजी मामला है। महिला का धर्मपरिवर्तन ज़बरदस्ती तो नहीं हुआ या इसके पीछे कोई षड्यंत्र तो नहीं है, इन सभी बिंदुओं की जांच मजिस्ट्रेट ने स्थानीय पुलिस को सौंप दी है। इसके साथ हीं सुनीता की सुरक्षा से संबंधित प्रार्थना पत्र पर भी पुलिस को कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
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