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जलियांवाला बाग के दोषी जनरल डायर को ऊधम सिंह ने दी मौत - अन्य बातें जिन्हें भूलना मुश्किल

आज बैसाखी के मौके पर पीएम न

7 years ago
जलियांवाला बाग के दोषी जनरल डायर को ऊधम सिंह ने दी मौत - अन्य बातें जिन्हें भूलना मुश्किल

आज बैसाखी के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने पूरे देशवाशियों को बधाई दी। इसके अलावा उन्होंने जलियांवाला बाग कांड में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि भी दी। उन्होंने इन शहीदों को याद किया और अपने ट्विटर पर ट्वीट किया की शहीदों की कुर्बानी को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

आपको बता दे कि जलियांवाला बाग अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास का एक छोटा सा बगीचा है। 98 वर्ष पहले आज ही के दिन 13 अप्रैल 1919 को ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने कई मासूमो पर गोलियां चला दी थी और हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इन लोगों में निहत्थे, बूढ़े, महिलाये और बच्चे भी शामिल थे।

नजर डालें इस घटना से जुडी कुछ बातों पर

Source = Hindiroot

ब्रिटिश हुकूमत के दौरान था रोलेट ऐक्ट

भारत में उस वक्त ब्रिटिश हुकूमत थी और क्रांतिकारी गतिविधियों को रोकने के लिए रोलेट ऐक्ट लाया गया था। इस ऐक्ट के मुताबिक ब्रिटिश सरकार के पास इतने अधिकार थे कि वह बिना ट्रायल चलाए किसी भी संदिग्ध को गिरफ्तार कर जेल में डाल सकते थे।

ब्रिटिश सरकार ने मार्शल लॉ लागू किया 

इस रोलेट ऐक्ट के तहत पंजाब में डॉक्टर सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया था। इन दोनों मशहूर नेताओं के गिरफ्तारी के विरोध में कई प्रदर्शन हुए। इस घटना के बाद लोगो में ब्रिटिश हुकूमत के लिए इतना गुस्सा था कि कई बैंको को लूटा गया, कई सरकारी इमारतों को नुकसान पहुंचाया तथा दंगे, तोड़फोड़ बहुत कुछ हुआ। यह देखकर ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर में सभी सार्वजनिक सभाओं और रैलियों पर रोक लगा दी।

बिना किसी सूचना 10 मिनट तक फायरिंग

बैसाखी पर्व पर सिख लोग इसके विरोध में जलियांवाला बाग (2.1-3) में एकत्र हुए थे। जिसमें महिलाये और बच्चे भी शामिल हुए थे। उस वक्त में इस बाग़ की दीवारें बड़ी-बड़ी थी और बाहर जाने के लिए केवल एक मुख्य द्वार ही था। तभी जनरल डायर 50 बंदूकधारी सिपाहियों के साथ वहां पहुंचा और बिना किसी पूर्व सूचना के सिपाहीओं को गोली चलाने का हुक्म दे दिया। 10 मिनट तक फायरिंग चलती रही, जिसमे कई बेगुनाओ को अपनी जान गवानी पड़ी थी।

इस घटना से देशवासियों के दिलो में बड़ा आक्रोश

इस कांड के बाद देश में भूचाल आ गया था और आक्रोश में आए देशवासियों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस घटना के बाद जनरल डायर को निलंबित कर दिया गया इसलिए वो  ब्रिटेन लौट गए थे। आपको बता दे कि इस वक्त भगत सिंह की उम्र 12 वर्ष थी और जब उन्हें 'जलियांवाला बाग कांड' की सूचना मिली थी तो वो स्कूल से 12 मील पैदल चलकर वहां पहुंच गए थे। इस कांड का उन पर बहुत प्रभाव पढ़ा था।

सरदार ऊधम सिंह ने जनरल डायर को उतारा मौत के घाट

सरदार ऊधम सिंह ने 13 मार्च 1940 के दिन जनरल डायर की हत्या की, इसके बाद ऊधम को जुलाई 1940 को फांसी दे दी गयी।

आपको बता दे कि इस घटना के बाद पंजाब के गवर्नर ने जनरल डायर की तारीफ की थी। लेकिन ब्रिटेन में हाउस ऑफ कॉमन्स में बोलते हुए विंस्टन चर्चिल ने इसे 'एक असाधारण राक्षसी घटना' के रूप में याद किया।


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