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भारत ने कल
भारत ने कल कुलभूषण जाधव केस जीतकर पाकिस्तान पर बड़ी कूटनीतिक विजय हासिल की है। मालूम हो कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तानी सैन्य अदालत से जासूसी के आरोप में फांसी की सजा पाये भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की सजा पर रोक लगा दी है। पाकिस्तान द्वारा कोर्ट में हार के बाद वहां विपक्षी दलों से लेकर आम जनता के बीच गम छा गया है। अब तो पाकिस्तान में उनके वकीलों की फीस को लेकर भी सवाल उठाये जा रहे है।
कुलभूषण जाधव मामले में जहा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत की तरफ से केस लड़ने वाले जाने माने वकील हरीश साल्वे ने 1 रुपये की फीस ली तो, वही दूसरी ओर पाक के वकील ने 5 करोड़ फीस ली है और इतनी मोटी फीस लेने के बावजूद भी वे आईसीजे में जोरदार दलीलें रखने में नाकामियाब हुए है।
जब यह मामला कोर्ट में चल रहा था, तब हरीश साल्वे की हर दलील को अंतराराष्ट्रीय कोर्ट ने बिलकुल ध्यान पूर्वक सुना और दलीलों को माना भी। कोर्ट द्वारा फैसला आने के बाद लोगो ने ट्विटर पर हरीश साल्वे की जमकर सराहना की।
लोगो ने इस तरह के ट्वीट किये
"कभी-कभी मात्र एक रुपया 125 करोड़ लोगों का दिल जीत सकता है. फैन नहीं मतदाता बनिए"
Not fair. #HarishSalve has charged us Rs.1/- as his fee for this case. https://t.co/Eyl3vQScrs
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) 15 May 2017
फिल्मकार और समाजसेवी अशोक पंडित ने हरीश साल्वे को लेकर एक ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था,
"भगवान का शुक्र है कि अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत में कांग्रेस के कपिल सिब्बल और सलमान खुर्शीद नहीं बल्कि हरीश साल्वे पैरवी कर रहे थे"
इसके बाद गोयल संजीव नाम के एक यूजर द्वारा एक ओर ट्वीट किया गया जिसमे लिखा था;
' कोई भी अच्छा वकील हरीश साल्वे से कहीं कम खर्च में ऐसे ही पैरवी करता। हमें फैसले का इंतजार करना चाहिए.'
इन ट्वीट्स के पश्चात विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी अपने ट्विटर से ट्वीट किया;
"ये सही नहीं है. हरीश साल्वे ने हमसे ये केस लड़ने के लिए सिर्फ 1 रुपये फीस ली है."
पहले कोर्ट ने 10 मई को जाधव की फांसी पर रोक लगाने का आदेश दिया था। इसके बाद 15 मई को भारत और पाकिस्तान ने इंटरनेशनल कोर्ट में अपनी अपनी दलील सामने रखी थी। कोर्ट ने दोनों पक्ष सुनने के बाद 18 मई को अपना फैसला सुनाया है। फ़िलहाल आईसीजे ने ये साफ कर दिया है कि इस केस में आखिरी आदेश आने तक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक जारी रहेगी।
अंतरराष्ट्रीय पंचाटने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को सुनाई गई फांसी की सजा पर अंतिम निर्णय सुनाए जाने तक रोक लगाने का आदेश दिया है। किन्तु इसके बावजूद पाकिस्तान ने इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया है और कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में अंतरराष्ट्रीय पंचाट के अधिकार क्षेत्र को कबूल नहीं करता है।
अब भारत के सामने सवाल यह उठता है कि इस बाध्यक फैसले को यदि पाकिस्तान नहीं मानता है तो ऐसी स्थिति में भारत क्या-क्या कर सकता है। भारत के पास दूसरे क्या विकल्प बचते है। विशेषज्ञों के मुताबित
"इन परिस्थितियों में भारत के पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जाने का विकल्प मौजूद है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र (UN) का चार्टर कहता है कि हर यूएन सदस्य अंतरराष्ट्रीय पंचाट (6.1-7) के फैसलों को मानने को बाध्य है, और यदि कोई पार्टी या पक्ष आईसीजे के फैसले का क्रियान्वयन करने में विफल रहता है, तो दूसरा पक्ष या पार्टी सुरक्षा परिषद का रुख कर सकता है, जहां सुरक्षा परिषद फैसले का क्रियान्वयन करवाए जाने के उपायों पर विचार करेगी"
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