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वाइट हाउस में 26 जून को भारत के
वाइट हाउस में 26 जून को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली मुलाकात होगी। दोनों देशों के लोग इस घडी का बेसब्री से इंतजार कर रहे है। आपको बता दें कि नवम्बर 2016 में ट्रंप को राष्ट्रपति बनने के उपलक्ष्य में पीएम मोदी ने उन्हें बधाई दी थी। इसके उपरांत 20 जनवरी को उनकी फोन पर बातचीत हुई। इसके बाद जब मोदी को ट्रंप की तरफ से वॉशिंगटन आने का न्यौता मिला तो पीएम मोदी ने उसे स्वीकार कर लिया। अब पीएम मोदी 25 जून को वॉशिंगटन के लिए प्रस्थान करेंगे और 26 जून को राष्ट्रपति ट्रंप मिलेंगे
दोनों नेताओं के बीच कम से कम तीन बार फोन पर बात हो चुकी है, लेकिन ट्रंप के सत्ता सम्हालने के बाद पीएम मोदी का यह पहला अमेरिका दौरा होगा।
वैसे तो प्रधानमंत्री ने पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से व्हाइट हाउस में कई बार मुलाकात की थी किन्तु इस बार की मुलाकात पहले जैसी नहीं होगी, क्योंकि इस मुलाकात से पहले दोनों देशो के बीच कई ऐसी बातें हो चुकी है, जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य नहीं है।
अगर देखा जाये तो प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रम्प दोनों ही राइटविंग लीडर्स है। जिस कारण लोगों को लगा था कि दोनों नेताओं की केमिस्ट्री काफी अच्छी होगी और शुरू के दौर में अच्छी भी थी।जब पीएम मोदी ने ट्रंप को राष्ट्रपति बनने पर फोन कर बधाई दी थी तो ट्रंप ने शपथ लेने के पांच दिन बाद ही पीएम मोदी से फ़ोन पर बातचीत की थी। बातचीत के दौरान ट्रैम्प ने पीएम मोदी से कहा कि भारत आज भी उनका अच्छा दोस्त है पर कुछ विपरीत परिस्थियों के कारण इस पर बुरा असर हो रहा है।
दोनों देशो के बीच शुरुआत अच्छी होने के बावजूद पेरिस जलवायु समझौते पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले गुरुवार को भारत की आलोचना की थी। जिसके चलते माना जा रहा है कि ट्रंप का यह रुख भारत के लिए सख्त है। ट्रंप ने कहा, 'भारत विकसित देशों से बिलियन और बिलियन डॉलर की विदेशी मदद लेता और फिर इस तरह के समझौतों का हिस्सा बनता है।' ट्रंप का यह पहला बयान है जिसमें उन्होंने भारत पर सीधा निशाना साधा। ट्रंप ने कहा,'जरा सोचिए अगर भारत अपने यहां कोयले का उत्पादन दोगुना कर सकता है तो फिर हम चैन की सांस ले सकते हैं।'
डॉनल्ड ट्रंप (5.3-10) का पीएम मोदी के साथ मुलाकात से पहले ही इतना सख्त रुख देखकर सभी आश्चर्य चकित है। ट्रंप ने जब से सत्ता संभाली है तभी से ही उन्होंने विदेशी नीतियों पर अपने रुख में बदलाव किये है। इसके अलावा ट्रंप ने चीन को करेंसी मैनपुलेटर मानने से मना कर दिया, जबकि चुनावों से पहले ट्रंप चीन को इसका दोषी बताते थे। इसके साथ ही उन्होंने चीन को कह दिया है कि वह चीन की वन चाइना पॉलिसी का सम्मान करते हैं।
अभी तक तो कई मुद्दों पर भारत और अमेरिका एक दूसरे के विपरीत नजर आये है, लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में दोनों एक साथ है। ट्रंप का रुख पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा है और यह बात भारत के लिए राहत देने वाली है। अमेरिका जो कि कभी पाकिस्तान को अपना अच्छा दोस्त समझता था, अब वह भारत की तरफ झुकता हुआ नजर आ रहा है। यह बात भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बैठक में दोनों नेता आतंकवाद से जुड़े मुद्दों और हेच -1बी वीज़ा नियमों में संभावित बदलाव पर चर्चा करने वाले है।
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